हैदराबाद, 21 जुलाई (भाषा) ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने 2006 के मुंबई ट्रेन बम धमाकों के मामले में बंबई उच्च न्यायालय द्वारा सभी 12 आरोपियों को बरी किए जाने के बाद सोमवार को जानना चाहा कि क्या महाराष्ट्र सरकार अपने आतंकवाद निरोधी दस्ते के अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करेगी जिन्होंने मामले की जांच की थी।
बंबई उच्च न्यायालय ने आरोपियों को बरी करते हुए कहा कि अभियोजन पक्ष अपना मामला साबित करने में ‘पूरी तरह विफल’ रहा है और ‘यह विश्वास करना मुश्किल है कि उन्होंने अपराध किया है।’
अदालत ने कहा कि गवाहों के बयान और आरोपियों से कथित बरामदगी का साक्ष्य के लिहाज से मूल्य नहीं है। इसने सभी 12 व्यक्तियों की दोषसिद्धि को पलट दिया, जिनमें से पांच को एक विशेष अदालत ने मौत की सजा और सात को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी।
11 जुलाई, 2006 को पश्चिमी लाइन पर मुंबई की उपनगरीय ट्रेनों में सात बम धमाके किए गए थे जिनमें 180 से अधिक लोग मारे गए थे और कई अन्य घायल हुए थे।
‘एक्स’ पर एक पोस्ट में फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए हैदराबाद के सांसद ने लिखा, ‘‘मुस्लिम समुदाय के 12 पुरुष 18 साल तक उस अपराध के लिए जेल में रहे जो उन्होंने किया ही नहीं था। उनके सुनहरे दिन बीत चुके हैं। 180 परिवारों ने अपनों को खोया, कई घायल हुए-उनके लिए कोई समाधान नहीं है। क्या सरकार इस मामले की जांच करने वाले महाराष्ट्र एटीएस के अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करेगी?’’
उन्होंने आरोप लगाया कि 2006 में महाराष्ट्र में सत्ता में रही पार्टियां भी ‘यातना की शिकायतों को नज़रअंदाज’ करने के लिए ज़िम्मेदार थीं।
एआईएमआईएम प्रमुख ने कहा, ‘‘अक्सर निर्दोष लोगों को जेल में डाल दिया जाता है, और जब वे सालों बाद बरी होते हैं तो उनके पास अपनी जिंदगी फिर से शुरू करने का कोई रास्ता नहीं बचता।’’
उन्होंने आगे कहा कि गिरफ्तारी के बाद से 17 सालों में अभियुक्त एक बार भी जेल से बाहर नहीं आए हैं।
ओवैसी ने कहा कि इस तरह के कई आतंकवादी मामलों में जांच एजेंसियों हमें बुरी तरह विफल कर चुकी हैं।
भाषा नेत्रपाल संतोष नरेश
नरेश