नयी दिल्ली, 21 जुलाई (भाषा) राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने सोमवार को बताया कि उच्च न्यायालय के न्यायाधीश यशवंत वर्मा को पद से हटाने के लिए उन्हें एक नोटिस प्राप्त हुआ है और उन्होंने इस दिशा में आवश्यक प्रक्रिया शुरू करने के लिए महासचिव को निर्देश दिए हैं।
धनखड़ ने बताया कि यह नोटिस संविधान के अनुच्छेद 217 (1)(बी), अनुच्छेद 218, और अनुच्छेद 124 (4) के साथ-साथ न्यायाधीश जांच अधिनियम, 1968 की धारा 31(बी) के तहत प्राप्त हुआ है, जिसमें न्यायमूर्ति वर्मा को हटाने के लिए जांच समिति गठित करने का अनुरोध किया गया है।
उन्होंने कहा, ‘‘यह प्रस्ताव आज मुझे प्राप्त हुआ है। इस पर राज्यसभा के 50 से अधिक सदस्यों के हस्ताक्षर हैं, जो उच्च न्यायालय के न्यायाधीश को हटाने की प्रक्रिया आरंभ करने के लिए आवश्यक संख्या है।’’
कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल द्वारा यह पुष्टि किए जाने के बाद कि इसी तरह का एक नोटिस लोकसभा में भी दिया गया है, सभापति धनखड़ ने राज्यसभा के महासचिव को आवश्यक कदम उठाने के निर्देश दिए।
गौरतलब है कि इस वर्ष मार्च माह में न्यायमूर्ति वर्मा के दिल्ली स्थित सरकारी आवास से अधजले नोटों की गड्डियां मिली थीं, जिसके बाद उनका तबादला इलाहाबाद उच्च न्यायालय कर दिया गया था।
धनखड़ ने उच्च सदन में यह भी कहा कि पिछले साल दिसंबर में इलाहाबाद उच्च न्यायालय के एक न्यायाधीश को हटाने के लिए सांसदों द्वारा नोटिस दिया गया था, और जांच में पता चला कि नोटिस पर एक सदस्य के दो हस्ताक्षर थे लेकिन संबंधित सदस्य ने इस बात से इनकार कर दिया कि उन्होंने नोटिस पर दो बार हस्ताक्षर किए थे।
सभापति ने कहा, ‘‘मैंने इसकी जांच की और पाया कि एक सदस्य ने दो जगहों पर हस्ताक्षर किए थे। प्रस्ताव में 55 हस्ताक्षर थे, लेकिन वास्तव में उस पर केवल 54 हस्ताक्षर ही थे।’’
उन्होंने कहा, ‘‘… इस संबंध में तह तक जाने की आवश्यकता है। हस्ताक्षरों के सत्यापन और प्रमाणीकरण की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। यह प्रक्रिया जारी है।’’
धनखड़ ने कहा कि यदि आवश्यक संख्या में सदस्य अपने हस्ताक्षर सत्यापित कर लेते हैं और यह संख्या 50 से ऊपर हो जाती है, तो वह ‘‘आगे बढ़ेंगे और दो बार हस्ताक्षर के मुद्दे को दूसरे तरीके से निपटाएंगे।’’
उन्होंने कहा, ‘‘मैं सदन में विभिन्न दलों के नेताओं के साथ इस मामले पर चर्चा करूंगा कि इस तरह के उल्लंघन की स्थिति में इस सदन को क्या कदम उठाने चाहिए।’’
विपक्षी सांसदों ने पिछले साल दिसंबर में न्यायमूर्ति शेखर यादव के खिलाफ एक सभा में भड़काऊ भाषण देने के आरोप में राज्यसभा में महाभियोग प्रस्ताव पेश किया था।
दिसंबर में सदन में नकदी बरामद होने की घटना का जिक्र करते हुए धनखड़ ने कहा कि यह चिंताजनक है कि किसी ने भी इसका दावा नहीं किया है। उन्होंने कहा, ‘‘मैंने अधिकारियों से इस मामले की गंभीरता से जांच करने को कहा है।’’
पिछले साल दिसंबर में संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान, कांग्रेस सदस्य अभिषेक मनु सिंघवी की सीट से नोटों की एक गड्डी बरामद हुई थी।
सिंघवी ने कहा था कि वह पैसा उनका नहीं था।
भाषा अविनाश वैभव
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