श्रीनगर, 21 जुलाई (भाषा) पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी से संसद के मानसून सत्र में देश भर में मुस्लिमों के कथित उत्पीड़न का मुद्दा उठाने का सोमवार को आग्रह किया।
संसद का मानसून सत्र सोमवार से शुरू हुआ।
महबूबा ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट आरोप लगाया कि ‘बांग्लादेशियों’ और ‘रोहिंग्या’ को निशाना बनाने के नाम पर मुसलमानों को लगातार मुश्किल परिस्थितियों में धकेला जा रहा है। उन्होंने कहा कि मीडिया में आ रही परेशान करने वाली खबरों में तो यहां तक कहा गया है कि कुछ मुसलमानों को भारत से निकालने के लिए समुद्र में धकेल दिया गया।
जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री ने लिखा, “मैं मुस्लिम समुदाय के साथ हर दिन हो रहे अत्याचार और उन्हें अधिकारों से वंचित किए जाने व कमजोर किए जाने की घटनाओं से बेहद दुखी हूं। मैंने राहुल गांधी जी को पत्र लिखा है और उनसे अनुरोध किया है कि वह इस गंभीर मुद्दे को संसद सत्र में उठाएं।’
महबूबा ने कहा कि ‘घृणा और भय से बढ़ते माहौल’ में कई लोगों ने ‘आशा खो दी है और पूरी तरह से असहाय महसूस कर रहे हैं।’
पीडीपी अध्यक्ष ने कहा, “इस समय वह (राहुल) उन लोगों के लिए एक दुर्लभ उम्मीद बनकर खड़े हैं, जिन्हें लगता है कि उन्हें भुला दिया गया है और वे बेजुबान महसूस करते हैं।’
राहुल को लिखे पत्र में महबूबा ने कहा कि जहां पहलगाम में हुए भयावह हमले, ‘ऑपरेशन सिंदूर’ और अन्य महत्वपूर्ण सुरक्षा मामलों पर चर्चा होने की संभावना है, वहीं उन्हें उम्मीद है कि विपक्ष, खासकर ‘इंडिया’ गठबंधन ‘देश भर में मुस्लिम उत्पीड़न को लेकर बढ़ती चिंता’ का मुद्दा भी उठाएगा।
उन्होंने कहा, ‘जैसा कि आपने असम की अपनी यात्रा के दौरान सही ही रेखांकित किया था, हजारों मुस्लिम घरों को बड़े पैमाने पर ध्वस्त करना बेहद चिंताजनक है।’
बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) का जिक्र करते हुए महबूबा ने कहा, ‘बिहार में किए जा रहे एसआईआर का नवीनतम घटनाक्रम मुसलमानों को बेदखल करने, उनके अधिकारी छीनने और अंततः मताधिकार से वंचित करने का एक और सुव्यवस्थित प्रयास प्रतीत होता है।”
पीडीपी प्रमुख ने कहा कि जिन मुसलमानों ने विभाजन के दौरान भारत में रहने का फैसला लिया, उन्होंने ऐसा महात्मा गांधी से लेकर पंडित जवाहरलाल नेहरू तक कांग्रेस पार्टी के धर्मनिरपेक्ष नेतृत्व में विश्वास के कारण किया।
उन्होंने कहा, ‘आज उस विरासत के वाहक के रूप में, हमारे संविधान में निहित धर्मनिरपेक्ष और लोकतांत्रिक मूल्यों को बनाए रखने और उनकी रक्षा करने की जिम्मेदारी आपके (राहुल के) कंधों पर है।’
महबूबा ने कहा, ‘जब पाकिस्तान या बांग्लादेश जैसे पड़ोसी देशों में अल्पसंख्यक हिंदुओं को निशाना बनाया जाता है, तो हमारा देश उचित रूप से आक्रोश व्यक्त करता है और केंद्र सरकार हस्तक्षेप करती है। लेकिन जब हमारे अपने देश में मुसलमानों को निशाना बनाया जाता है, तो एक बेचैन करने वाली खामोशी छा जाती है, एक डर जो कई लोगों को बोलने से रोकता है।’
भाषा नोमान पारुल
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