मुंबई, 21 जुलाई (भाषा) महाराष्ट्र में 7/11 के लोकल ट्रेन बम विस्फोट के दौरान घायल हुए बागवानी ठेकेदार हरीश पोवार इतने साल से शारीरिक और मानसिक तकलीफों के साथ जीते हुए न्याय मिलने का इंतजार करते रहे।
लेकिन, 19 साल बाद मुंबई उच्च न्यायालय द्वारा 12 आरोपियों को बरी किए जाने से विरार निवासी पोवार स्तब्ध हैं और उन्होंने इस फैसले को पीड़ितों के जख्मों पर नमक छिड़कने जैसा करार दिया।
अब 44 वर्ष के हो चुके पोवार को 11 जुलाई 2006 का वो दिन अच्छी तरह से याद है जब विरार जाने वाली लोकल ट्रेन के प्रथम श्रेणी कोच में बम विस्फोट हुआ था। वह भी इस ट्रेन में यात्रा कर रहे थे और इस विस्फोट के दौरान घायल हो गए थे।
पोवार ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘लगभग दो दशक बाद भी विस्फोट का दृश्य मेरी आंखों के सामने बार-बार आता है। मुझे याद है कि डिब्बे के अंदर लाशें पड़ी थीं और इसकी दीवारों पर खून के छींटे थे। कुछ लोग दर्द से तड़प रहे थे, जबकि कुछ बेसुध पड़े थे।’’
यहां सात ट्रेनों में विस्फोट में 180 से अधिक लोगों की मौत के 19 साल बाद मुंबई उच्च न्यायालय ने सोमवार को सभी 12 आरोपियों को बरी कर दिया और कहा कि अभियोजन पक्ष मामले को साबित करने में पूरी तरह विफल रहा, जिससे यह विश्वास करना कठिन है कि आरोपियों ने अपराध किया है।
फैसले से निराश पोवार ने तंज कसते हुए कहा, ‘‘अगर आरोपी व्यक्तियों को बरी कर दिया जाता है, तो अपने परिवार का पेट पालने के लिए काम करने घर से बाहर निकलना अपराध है…और हम अपराधी हैं।’’
बागवानी ठेकेदार को विस्फोट में सीने में गंभीर चोटें आई थीं।
उन्होंने कहा कि 19 साल बाद किसी को भी ऐसे फैसले की उम्मीद नहीं होगी।
इस बात पर जोर देते हुए कि न्यायपालिका आम लोगों के लिए एकमात्र आशा है, पोवार ने कहा कि इस तरह के फैसले पीड़ितों के घावों पर नमक छिड़कने के समान हैं।
भाषा यासिर नेत्रपाल
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