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Tuesday, July 22, 2025

केरल के राज्यपाल आर्लेकर, मुख्यमंत्री विजयन सहित कई लोगों ने अच्युतानंदन के निधन पर शोक जताया

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तिरुवनंतपुरम, 21 जुलाई (भाषा) केरल के पूर्व मुख्यमंत्री वी एस अच्युतानंदन (101) के निधन पर विभिन्न क्षेत्रों और विभिन्न राजनीतिक विचारधाराओं के लोगों ने शोक व्यक्त किया। अच्युतानंदन का सोमवार को यहां एक निजी अस्पताल में निधन हो गया।

वाम दलों के नेताओं और कार्यकर्ताओं ने अपने राजनीतिक जीवन और विचारधाराओं को आकार देने में ‘कॉमरेड वी.एस.’ के प्रभाव को याद किया, उनके राजनीतिक विरोधियों ने भ्रष्टाचार के खिलाफ उनके अडिग रुख, उनके दुर्लभ कम्युनिस्ट मूल्यों और उनके द्वारा राजनीति से परे मित्रता की प्रशंसा की।

राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर ने अच्युतानंदन को भारतीय राजनीति में एक ‘बड़ी शख्सियत’ और कम्युनिस्ट आंदोलन का एक पुरोधा बताया। उन्होंने एक शोक संदेश में कहा कि उनका निधन भारत के वाम राजनीतिक इतिहास में एक युग का अंत है।

आर्लेकर ने कहा, ‘‘वे एक साधारण परिवार से थे और कड़ी मेहनत, ईमानदारी, सादगी के चलते शीर्ष पर पहुंचे। सार्वजनिक जीवन और वाम आंदोलन में उनके योगदान को हमेशा गहरे सम्मान के साथ याद किया जाएगा।’’

केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने अपने शोक संदेश में कहा कि अच्युतानंदन संघर्ष की जीवंत परंपरा, असाधारण दृढ़ प्रतिबद्धता और कभी हार न मानने वाले हौसले का प्रतीक थे।

उन्होंने कहा कि अच्युतानंदन का सौ साल लंबा जीवन-जिस दौरान वे आम लोगों के साथ खड़े रहे और उनकी चिंताओं को उठाया-केरल के आधुनिक इतिहास से अभिन्न रूप से जुड़ा हुआ है।

उन्होंने कहा, ‘‘केरल सरकार, माकपा, वाम लोकतांत्रिक मोर्चा और विभिन्न स्तरों पर विपक्ष का नेतृत्व करने में वी.एस. का योगदान अद्वितीय है।’’

मुख्यमंत्री ने कहा कि वी.एस. का निधन एक युग का अंत है और इससे पार्टी के साथ-साथ क्रांतिकारी, लोकतांत्रिक और प्रगतिशील आंदोलनों को भी भारी क्षति हुई है।

अच्युतानंदन के निधन की आधिकारिक पुष्टि के तुरंत बाद शोक व्यक्त करने वालों में के. एन. बालगोपाल, वी. शिवनकुट्टी और पी. राजीव के साथ ही माकपा के वरिष्ठ नेता और मंत्रियों, विपक्ष के नेता वी. डी. सतीशन और इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (आईयूएमएल) प्रमुख सादिक अली शिहाब थंगल भी शामिल थे।

एक बयान में, शिवनकुट्टी ने कहा कि अच्युतानंदन का जीवन अथक संघर्षों और आंदोलनों का पर्याय था। उन्होंने कहा, ‘‘अच्युतानंदन ने गरीबों, बेसहारा और हाशिए पर पड़े लोगों के लिए लड़ाई लड़ी।’

सतीशन ने कहा कि हालांकि कई बार ‘वीएस’ के साथ उनकी राजनीतिक झड़पें भी हुईं, लेकिन मार्क्सवादी नेता ने कभी व्यक्तिगत दुश्मनी या असहजता नहीं दिखायी।

उन्होंने एक बयान में कहा, ‘‘वह अपार जनसमर्थन पाकर केरल के मुख्यमंत्री बने। मुख्यमंत्री के रूप में ‘वीएस’ की कुछ सीमाएं थीं, लेकिन उन्होंने कभी भी उन सीमाओं को अपने रास्ते में नहीं आने दिया।’’

सतीसन ने यह भी याद किया कि कैसे अच्युतानंदन ने पर्यावरण संरक्षण के लिए विभिन्न आंदोलनों का नेतृत्व किया और जल दोहन के खिलाफ विरोध प्रदर्शनों में दृढ़ता से खड़े रहे।

मलप्पुरम में पत्रकारों से बात करते हुए, थंगल ने कहा कि अच्युतानंदन एक असाधारण कम्युनिस्ट थे, जिन्होंने मुख्यमंत्री पद संभालने के बाद भी अपनी वाम विचारधारा और मूल्यों को कायम रखा।

आईयूएमएल के वरिष्ठ नेता पी के कुन्हालीकुट्टी ने भी कहा कि ‘वी.एस.’ ने कभी भी कम्युनिस्ट विचारधारा से समझौता नहीं किया, जिसे उन्होंने एक मजदूर के रूप में अपनाया था, तथा उन्होंने मुख्यमंत्री के रूप में कार्य करते हुए भी उन सिद्धांतों का पालन जारी रखा।

भाषा

अमित दिलीप

दिलीप

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