तिरुवनंतपुरम, 21 जुलाई (भाषा) मार्क्सवादी नेता वी. एस. अच्युतानंदन, जिनका सोमवार को यहां एक अस्पताल में निधन हो गया, अपनी पार्टी के भीतर एक बागी और सुधारवादी व्यक्ति थे और उन्होंने अनुशासनात्मक कार्रवाई की कभी परवाह नहीं की।
उनके विरोधाभासी रुख ने पार्टी को कई बार मुश्किल स्थिति में डाला और रिवोल्यूशनरी मार्क्सिस्ट पार्टी (आरएमपी) के नेता टी. पी. चंद्रशेखरन की हत्या ऐसी ही एक घटना थी।
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के पूर्व नेता चंद्रशेखरन, जिन्होंने नेतृत्व से मतभेदों के बाद पार्टी छोड़ दी थी, की चार मई, 2012 को कोझिकोड के ओंचियम में एक गिरोह ने उस समय हत्या कर दी थी जब वह अपनी बाइक से घर लौट रहे थे।
इस हत्या की साजिश कथित तौर पर माकपा के स्थानीय नेताओं ने रची थी।
हालांकि पार्टी नेतृत्व ने चंद्रशेखरन को ‘गद्दार’ करार दिया था, लेकिन अच्युतानंदन ने कभी भी अपने पार्टी के पूर्व सहयोगी की निंदा नहीं की।
जब पार्टी ने तर्क दिया कि तत्कालीन यूडीएफ सरकार द्वारा इस जघन्य हत्याकांड की सीबीआई जांच का आदेश देना राजनीति से प्रेरित था, तो वीएस ने केंद्रीय एजेंसी की जांच का समर्थन किया और अधिकारियों को पत्र लिखकर इसकी मांग भी की।
उन्होंने चंद्रशेखर के घर न जाने के पार्टी के निर्देश की भी अवहेलना की और उसी वर्ष नेय्याट्टिनकारा उपचुनाव के राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण दिन उनकी विधवा के.के. रेमा से मुलाकात की।
जिस दिन वीएस वहां पहुंचे, उस दिन दिवंगत नेता के घर पर बेहद भावुक दृश्य देखने को मिला। भावनाओं में बहकर रेमा कई सेकंड तक अच्युतानंदन के हाथ पकड़कर फूट-फूट कर रोईं।
इस मार्मिक क्षण की तस्वीर को अगले दिन सभी प्रमुख अखबारों के पहले पन्ने पर जगह मिली।
भावुक रीमा, जो अब वडकारा से संयुक्त लोकतांत्रिक मोर्चा (यूडीएफ) समर्थित विधायक हैं, ने सोमवार को अपने फेसबुक पेज पर नेता को श्रद्धांजलि देते हुए एक भावुक पोस्ट के साथ वही तस्वीर साझा की।
भाषा संतोष अविनाश
अविनाश