लखनऊ, 21 जुलाई (भाषा) उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जिले में पुलिस ने सांप्रदायिक तनाव फैलाने और आतंकी हमले की साजिश रचने के आरोप में सोमवार को तीन लोगों को गिरफ्तार किया। एक बयान में यह जानकारी दी गयी।
पुलिस ने बयान में बताया, “मुजफ्फरनगर जिले की ककरौली थाना पुलिस को सूचना मिली थी कि ककरौली गांव के कुछ लोग ‘ककरौली युवा एकता व्हाट्सएप ग्रुप’ पर सनसनीखेज वीडियो-ऑडियो वायरल कर रहे हैं। वीडियो में एक घर में महिलाओं और छोटे बच्चों के शव खून से लथपथ पड़े देखे गये।”
पुलिस के मुताबिक, “वीडियो के साथ-साथ एक ऑडियो क्लिप भी वायरल हुई, जिसमें यह कथित तौर पर यह कहते हुए सुना जा सकता है कि यह वीडियो मुरादाबाद जिले के मंसूरपुर ठरक नगला के पास का है, जहां बजरंग दल के कुछ लोग मुसलमानों के घरों में घुसकर लोगों की हत्या कर रहे हैं और किसी को भी नहीं बख्श रहे हैं फिर चाहे वह जवान हो या बूढ़ा, महिला हो या बच्चे।”
‘पीटीआई-भाषा’ ऐसे किसी वीडियो-ऑडियो की पुष्टि नहीं करता है।
पुलिस ने इस वीडियो-ऑडियो पर संज्ञान लेते हुए बताया कि ‘भ्रामक’ ऑडियो और वीडियो पोस्ट करने वाले व्यक्ति और उसके दो साथियों को गिरफ्तार कर लिया गया।
पुलिस के मुताबिक, आरोपियों के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता, गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम और आईटी अधिनियम की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया।
ककरौली थानाध्यक्ष जोगिंदर सिंह ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि गिरफ्तार आरोपियों की पहचान नदीम (25), रहीस (35) और मनशेर (45) के रूप में हुई है तथा इन्होंने यह वीडियो व ऑडियो को अलग-अलग व्हाट्सएप ग्रुप पर प्रसारित किया था।
पुलिस ने बयान में बताया, “नदीम, रहीस व मनशेर से विस्तृत पूछताछ और साक्ष्यों के विश्लेषण के बाद यह पता चला कि प्रथम दृष्टया यह वायरल वीडियो अप्रैल 2024 को पाकिस्तान के मुजफ्फरगढ़ में हुई एक घटना का है। उसमें एक व्यक्ति ने अपनी पत्नी और सात बच्चों की कुल्हाड़ी से हमला कर हत्या कर दी थी।”
पुलिस के मुताबिक, यह वीडियो पश्चिमी उत्तर प्रदेश में आतंकवादी घटनाओं को अंजाम देने के लिए मुरादाबाद जिले के एक विशेष समुदाय के लोगों को भड़काने की एक ‘सुनियोजित’ साजिश के तहत प्रसारित किया गया था।
पुलिस ने बयान में बताया, “अब तक उपलब्ध साक्ष्यों के आधार पर यह एक बहुत बड़ी आपराधिक साजिश प्रतीत होती है। इसमें कुछ असामाजिक तत्वों, राष्ट्र-विरोधी संगठनों, आतंकवादी संगठनों और पाकिस्तानी एजेंसियों की संलिप्तता से इनकार नहीं किया जा सकता।”
भाषा सलीम जितेंद्र
जितेंद्र