मुंबई, 21 जुलाई (भाषा) महाराष्ट्र आतंकवाद निरोधक दस्ता (एटीएस) 11 जुलाई 2006 को मुंबई की कई ट्रेन में हुए बम विस्फोट मामले में सभी 12 आरोपियों को बरी करने वाले मुंबई उच्च न्यायालय के फैसले का विश्लेषण करने और विशेष सरकारी अभियोजक से परामर्श के बाद अगला कदम तय करेगा।
मुंबई उच्च न्यायालय ने मुंबई ट्रेन विस्फोट मामले में सोमवार को सभी 12 आरोपियों को यह कहते हुए बरी कर दिया कि अभियोजन पक्ष उनके खिलाफ मामला साबित करने में पूरी तरह विफल रहा है तथा यह विश्वास करना कठिन है कि आरोपियों ने यह अपराध किया है।
यह फैसला शहर के पश्चिमी रेलवे नेटवर्क को हिला देने वाले आतंकवादी हमले के 19 साल बाद आया है। इस हमले में 180 से अधिक लोगों की जान चली गई थी और कई अन्य लोग घायल हुए थे।
उच्च न्यायालय का यह फैसला मामले की जांच करने वाले महाराष्ट्र एटीएस के लिए बड़ी शर्मिंदगी लेकर आया है। एजेंसी ने दावा किया था कि आरोपी प्रतिबंधित संगठन स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (सिमी) के सदस्य थे और उन्होंने आतंकी समूह लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) के पाकिस्तानी सदस्यों के साथ मिलकर यह साजिश रची थी।
एटीएस ने कहा कि इस मामले में विशेष मकोका अदालत ने 30 सितंबर 2015 को पांच आरोपियों को मृत्युदंड और सात अन्य को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी, जबकि एक अन्य को बरी कर दिया था।
एटीएस ने कहा कि अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) राजा ठाकरे और विशेष लोक अभियोजक चिमलकर ने भी उच्च न्यायालय में राज्य की ओर से बहस की।
मामले की सुनवाई जुलाई 2024 से 27 जनवरी 2025 के बीच हुई।
एटीएस के बयान में कहा गया है कि उच्च न्यायालय ने पांच आरोपियों की मौत की सजा को खारिज कर दिया और सात आरोपियों की अपील स्वीकार करते हुए उन्हें बरी कर दिया तथा मकोका अदालत के आदेश को रद्द कर दिया।
एटीएस अगले कदम के बारे में फैसला करने से पहले विशेष सरकारी अभियोजक से परामर्श करेगा और उच्च न्यायालय के फैसले का विश्लेषण करेगा।
भाषा
नोमान अविनाश
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