नयी दिल्ली, 21 जुलाई (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने उत्तर प्रदेश के पीलीभीत में मात्र 115 रुपये में कार्यालय की जगह ‘धोखाधड़ी से कब्जाने’ के लिए सोमवार को समाजवादी पार्टी को फटकार लगाई और इसे ‘राजनीतिक शक्ति का स्पष्ट दुरुपयोग’ बताया।
न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की पीठ ने राजनीतिक दल की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ दवे से कहा कि यह धोखाधड़ी से आवंटन का मामला नहीं है, बल्कि ‘बाहुबल और सत्ता का दुरुपयोग कर धोखाधड़ी से कब्जा’ किए जाने का मामला है।
शीर्ष अदालत पीलीभीत नगरपालिका परिषद के बेदखली आदेश के खिलाफ यहां पार्टी की याचिका पर सुनवाई कर रही थी।
दवे ने तर्क दिया कि कार्यालय के लिए किराया देने के बावजूद, नगर निगम के अधिकारी उनके मुवक्किल को बेदखल करने पर अड़े हुए हैं।
उन्होंने कहा कि बेदखली आदेश पर रोक लगाने की मांग करते हुए एक मुकदमा दायर किया गया है।
पीठ ने कहा, ‘‘आप एक राजनीतिक दल हैं। आपने जगह पर कब्जा करने के लिए आधिकारिक पद और राजनीतिक शक्ति का दुरुपयोग किया। जब कार्रवाई होती है, तो आपको सब कुछ याद आने लगता है। क्या आपने कभी नगरपालिका क्षेत्र में 115 रुपये किराए पर कार्यालय की जगह के बारे में सुना है? यह सत्ता के दुरुपयोग का स्पष्ट मामला है।’’
जब दवे ने छह सप्ताह तक बेदखल नहीं किए जाने की अपील की की, तो पीठ ने कहा, ‘‘इस समय आप एक अनधिकृत अधिभोगी हैं। ये धोखाधड़ी वाले आवंटन नहीं, बल्कि धोखाधड़ी वाले कब्जे हैं।’’
दवे ने दावा किया कि अधिकारियों द्वारा पार्टी को निशाना बनाया जा रहा है।
पीठ ने कहा, ‘‘बेहतर होगा कि आप उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर करें और ऐसे किसी भी धोखाधड़ी वाले आवंटन या कब्जे को अदालत के संज्ञान में लाएं। हम इस कदम का स्वागत करेंगे।’’
उच्चतम न्यायालय ने 16 जून को पार्टी के पीलीभीत जिलाध्यक्ष की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें उच्च न्यायालय के उस आदेश को चुनौती दी गई थी, जो उन्हें स्थानीय पार्टी कार्यालय खाली करने के आदेश के मामले में नई याचिका दायर करने से रोकता था।।
शीर्ष अदालत ने पार्टी को नगर निकाय के निर्णय के खिलाफ उच्च न्यायालय में जाने की स्वतंत्रता प्रदान की।
भाषा यासिर दिलीप
दिलीप