वाराणसी (उप्र), 21 जुलाई (भाषा) उत्तर प्रदेश के वाराणसी में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी)- बीएचयू बलात्कार मामले में कार्यवाही रद्द करने के लिए दो आरोपियों द्वारा सोमवार को त्वरित अदालत में दाखिल अर्जी खारिज कर दी गई।
अदालत ने पीड़िता के दोस्त और एकमात्र चश्मदीद गवाह को 31 जुलाई को अगली सुनवाई पर बयान के लिए तलब किया है।
शासकीय अधिवक्ता विनय सिंह ने बताया कि पीड़िता वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए अदालत में मौजूद थी। आरोपी आनंद और सक्षम ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए पीड़िता की मौजूदगी पर आपत्ति और 28 जुलाई को सुनवाई की तारीख तय होने का हवाला देते हुए यहां अदालत में कार्यवाही रद्द करने की मांग की जिसे अदालत ने खारिज कर दिया।
सिंह ने बताया कि अदालत ने घटना के एकमात्र प्रत्यक्षदर्शी को 31 जुलाई को अगली सुनवाई पर बयान के लिए तलब किया है।
यह घटना एक नवंबर, 2023 की रात को हुई थी। घटना के बाद, काशी हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के सैकड़ों छात्र-छात्राओं ने परिसर में विरोध प्रदर्शन किया था और बाहरी लोगों के प्रवेश पर प्रतिबंध लगाने की मांग की थी।
शिकायतकर्ता छात्रा के अनुसार वह रात में अपने एक दोस्त के साथ छात्रावास से बाहर गई थी। वे करमन बाबा मंदिर के पास थे तभी तीन लोग मोटरसाइकिल से आए, उसे जबरन एक कोने में ले गए और उसके दोस्त से अलग करने के बाद उसका मुंह बंद कर दिया और उसके कपड़े उतार दिए।
शिकायतकर्ता ने यह भी आरोप लगाया कि आरोपियों ने उसका वीडियो भी बनाया और तस्वीरें भी खींचीं। उन्होंने उसका फोन नंबर भी ले लिया और लगभग 15 मिनट बाद उसे जाने दिया। शिकायत के आधार पर लंका थाने में भारतीय दंड संहिता की धारा 354 (महिला का शील भंग करने के इरादे से उस पर हमला या आपराधिक बल प्रयोग) और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम के प्रावधानों के तहत एक प्राथमिकी दर्ज की गई थी।
पुलिस ने बताया कि इसके बाद, मुकदमे में सामूहिक बलात्कार का आरोप भी जोड़ दिया गया। इस मामले में 31 दिसंबर को तीन आरोपियों कुणाल पांडे, आनंद उर्फ अभिषेक चौहान और सक्षम पटेल को गिरफ्तार किया गया था।
भाषा
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