नयी दिल्ली, 22 जुलाई (भाषा) विधानसभा द्वारा पारित विधेयकों पर राष्ट्रपति द्वारा निर्णय लेने के लिए समयसीमा तय की जा सकती है या नहीं, इस संबंध में राष्ट्रपति द्वारा दिए जाने वाले संदर्भ पर उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को केंद्र और राज्यों से जवाब मांगा।
प्रधान न्यायाधीश बी. आर. गवई की अध्यक्षता में न्यायमूर्ति सूर्यकांत, न्यायमूर्ति विक्रम नाथ, न्यायमूर्ति पी. एस. नरसिम्हा और न्यायमूर्ति ए. एस. चंदुरकर की पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने अगले मंगलवार तक केंद्र और राज्यों से जवाब मांगा है। पीठ ने कहा कि यह मुद्दा केवल एक राज्य का नहीं, बल्कि पूरे देश का है।
पीठ ने कहा कि वह 29 जुलाई को सुनवाई का कार्यक्रम तय करेगी और अगस्त के मध्य तक सुनवाई शुरू करने की योजना है।
मई में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने अनुच्छेद 143(1) के तहत अपनी शक्तियों का प्रयोग किया और आठ अप्रैल के उच्चतम न्यायालय के फैसले पर न्यायालय से 14 महत्वपूर्ण प्रश्न पूछे। उच्चतम न्यायालय के आठ अप्रैल के फैसले में राज्यपालों और राष्ट्रपति के लिए राज्य विधानसभाओं द्वारा पारित विधेयकों पर कार्रवाई करने के संदर्भ में समयसीमा तय की गई थी।
संविधान का अनुच्छेद 143 (1) राष्ट्रपति की उच्चतम न्यायालय से परामर्श करने की शक्ति से संबंधित है।
अनुच्छेद के अनुसार, ‘‘अगर किसी भी समय राष्ट्रपति को ऐसा प्रतीत हो कि विधि या तथ्य का कोई प्रश्न उत्पन्न हुआ है या उत्पन्न होने की संभावना है जो ऐसी प्रकृति और ऐसे सार्वजनिक महत्व का है कि उस पर उच्चतम न्यायालय की राय प्राप्त करना समीचीन है, तो राष्ट्रपति उस प्रश्न को विचार के लिए उच्चतम न्यायालय भेज सकते हैं और न्यायालय ऐसी सुनवाई के बाद जैसा वह उचित समझे, राष्ट्रपति को उस पर अपनी राय से अवगत करा सकता है’’।
आठ अप्रैल का निर्णय तमिलनाडु सरकार द्वारा प्रश्नांकित विधेयकों पर निर्णय के सदंर्भ में राज्यपाल की शक्तियों से संबंधित एक मामले में पारित किया गया था। उच्चतम न्यायालय ने पहली बार यह निर्धारित किया कि राज्यपाल द्वारा राष्ट्रपति के विचारार्थ रखे गए विधेयकों पर ऐसा संदर्भ प्राप्त होने की तिथि से तीन महीने के भीतर निर्णय लिया जाना चाहिए।
पांच पृष्ठों के संदर्भ में राष्ट्रपति मुर्मू ने उच्चतम न्यायालय से प्रश्न पूछे और राज्य विधानमंडल द्वारा पारित विधेयकों पर निर्णय लेने में अनुच्छेद 200 और 201 के तहत राज्यपालों एवं राष्ट्रपति की शक्तियों के संबंध में उसकी राय जानने का प्रयास किया।
भाषा सुरभि मनीषा
मनीषा