ठाणे, 22 जुलाई (भाषा) महाराष्ट्र में ठाणे जिले की एक विशेष अदालत ने 2017 के चोरी के एक मामले में तीन लोगों को दोषी ठहराया लेकिन उन्हें महाराष्ट्र संगठित अपराध नियंत्रण अधिनियम (मकोका) के तहत लगाए गए आरोपों से बरी कर दिया।
विशेष न्यायाधीश (मकोका) वी. जी. मोहिते ने राहुल मच्छिंद्र शिंदे (44) और दत्ता उमराव शिंदे (35) को भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 380 (आवासीय घर में चोरी) के तहत दोषी पाते हुए पांच साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई।
न्यायाधीश ने एक अन्य आरोपी अमित उर्फ प्रवीण प्रेमचंद बागरेचा (44) को आईपीसी की धारा 411 (बेईमानी से चोरी की संपत्ति प्राप्त करना) के तहत दोषी ठहराया गया और 25 दिन के कठोर कारावास की सजा सुनाई गई।
अदालत के 18 जुलाई के इस आदेश की एक प्रति मंगलवार को उपलब्ध कराई गई।
अदालत ने तीनों आरोपियों को मकोका के तहत लगाए गए आरोपों से बरी कर दिया। राहुल और दत्ता को आईपीसी की धारा 395 (डकैती) और 397 (जान से मारने या गंभीर चोट पहुंचाने के प्रयास सहित डकैती) के आरोपों से भी बरी कर दिया गया।
न्यायाधीश मोहिते ने कहा कि अभियोजन पक्ष मकोका की धारा 2(1)(ई) के तहत किसी अपराध को ‘‘संगठित अपराध’’ की श्रेणी में रखने के लिए आवश्यक ‘‘हिंसा का प्रयोग या हिंसा की धमकी या धमकाना या जबरदस्ती’’ किए जाने की बात को साबित करने में विफल रहा।
अभियोजन पक्ष के अनुसार, तीन मार्च 2017 को पुलिस का एक दल रात्रि गश्त पर था तभी उसे डोंबिवली शहर के चंद्रेश पार्क इलाके में चोरों के होने के बारे में सूचना मिली। पुलिस ने पांच लोगों का पीछा किया और दत्ता शिंदे को पकड़ लिया।
उसके अनुसार, दत्ता के पास से चोरी का एक टीवी और एक हथियार बरामद हुआ था। बाकी चार आरोपी भागने में सफल रहे।
बाद में पुलिस ने अन्य दो आरोपियों को भी पकड़ लिया और उनके पास से चोरी के सोने के आभूषण बरामद किए।
आरोपियों पर डकैती और गंभीर चोट पहुंचाने के प्रयास के अलावा डकैती का आरोप लगाया गया था लेकिन अदालत ने पाया कि इन आरोपों को लगाने के लिए आवश्यक शर्तें पूरी नहीं की गईं।
न्यायाधीश ने कहा, ‘‘घर में चोरी करते समय किसी भी आरोपी ने किसी को स्वेच्छा से चोट नहीं पहुंचाई या ऐसा करने का प्रयास नहीं किया, किसी को गलत तरीके से नहीं रोका और न ही तत्काल जान से माने या तत्काल चोट पहुंचने की धमकी दी।’’
भाषा सिम्मी नरेश
नरेश