लखनऊ, 22 जुलाई (भाषा) मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि कृषि क्षेत्र में होने वाले अनुसंधान का लाभ किसानों तक पहुंचना जरूरी है और ऐसा होने पर ही खेती पलायन का नहीं, बल्कि खुशहाली का माध्यम बनेगी।
मुख्यमंत्री ने मंगलवार को उत्तर प्रदेश कृषि अनुसंधान परिषद के 36वें स्थापना दिवस में शिरकत की। इस दौरान उन्होंने प्रदर्शनी का अवलोकन और पुस्तिकाओं-न्यूज लेटर का विमोचन किया। साथ ही कृषि वैज्ञानिकों, युवा प्रतिभाओं, एफपीओ आदि का सम्मान भी किया।
मुख्यमंत्री ने अपने संबोधन में कहा, ‘‘कृषि पलायन का नहीं बल्कि खुशहाली का माध्यम बने। यह तभी संभव है जब हम इस क्षेत्र में किए जाने वाले अनुसंधान का लाभ किसानों को दे पाएंगे।’’
उन्होंने कहा, ‘‘खेती और कृषि अनुसंधान की दृष्टि से उत्तर प्रदेश प्रकृति व परमात्मा की कृपा वाला प्रदेश है।’’
मुख्यमंत्री ने वैज्ञानिक शोध और अनुसंधान कार्यों को खेती में प्रभावी ढंग से लागू किए जाने की दर बेहद कम होने पर चिंता जाहिर की।
उन्होंने कहा, ‘‘प्रदेश में कृषि अनुसंधान के लिए 15 से अधिक संस्थान कार्यरत हैं। इसके अलावा 89 कृषि विज्ञान केंद्र भी अपनी विशेषज्ञता का लाभ किसानों को प्रदान करते हैं। इसके बावजूद किसानों की स्थिति चौंकाने वाले तथ्य प्रस्तुत करती है। प्रदेश के बमुश्किल 25 से 30 प्रतिशत किसान ही ऐसे हैं, जो वैज्ञानिक शोध व अनुसंधान के कार्यों को प्रभावी ढंग से खेती में लागू कर पा रहे हैं।’’
उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में आज भी कृषि क्षेत्र ही सबसे ज्यादा रोजगार देता है। लगभग तीन करोड़ लोग कृषि पर निर्भर करते हैं।
आदित्यनाथ ने कहा, ‘‘हमें भारत की जलवायु और मिट्टी के अनुरूप शोध व विकास को बढ़ाने के लिए खुद को तैयार करना होगा। उत्तर प्रदेश में यह सभी संभावनाएं छुपी हुई हैं। केंद्र सरकार ने भारत को 5,000 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने का लक्ष्य रखा है। हमने भी तय किया है कि 2029 में उत्तर प्रदेश को 1,000 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाएंगे।’’
भाषा सलीम खारी अजय
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