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Wednesday, July 23, 2025

भोजनालयों के लिए ‘क्यूआर’ कोड मामले पर उच्चतम न्यायालय के आदेश का लोगों ने किया स्वागत

Newsभोजनालयों के लिए ‘क्यूआर’ कोड मामले पर उच्चतम न्यायालय के आदेश का लोगों ने किया स्वागत

मुरादाबाद/मेरठ/बागपत (उप्र), 22 जुलाई (भाषा) उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में कांवड़ यात्रा मार्ग पर स्थित भोजनालयों के लिए ‘क्यूआर’ कोड संबंधी निर्देश पर रोक लगाने से इनकार करने वाले उच्चतम न्यायालय के आदेश का लोगों ने स्वागत किया है।

न्यायमूर्ति एम एम सुंदरेश और न्यायमूर्ति एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने कहा कि वह होटल या ढाबा मालिक के नाम एवं क्यूआर कोड प्रदर्शित करने संबंधी अन्य मुद्दों पर विचार नहीं कर रही है क्योंकि मंगलवार कांवड़ यात्रा का अंतिम दिन है।

पिछले 23 वर्षों से नीलकंठ महादेव में गंगाजल अर्पित कर रहे सरकारी अधिकारी रघुवीर सिंह ने उच्चतम न्यायालय के फैसले पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि उच्चतम न्यायालय का यह बहुत अच्छा आदेश है।

उन्होंने कहा, ‘‘अब समुदायों के आधार पर कोई भेदभाव नहीं होगा और सभी बिना किसी आपत्ति के इसका पालन करेंगे।’’

राष्ट्रीय राजमार्ग पर स्थित नीलकंठ ढाबे के मालिक शराफत हुसैन ने भी इस फैसले पर सकारात्मक प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा,‘‘हम पिछले 20 वर्षों से अपने ढाबे पर खाद्य लाइसेंस की प्रतियां चिपकाते आ रहे हैं।’’

खाद्य निरीक्षक राज हंस श्रीवास्तव ने बताया कि सभी होटल और ढाबे पहले से ही इस दिशानिर्देश का पालन कर रहे हैं लेकिन उन्होंने लाइसेंस की प्रति अंदर चिपकाई है, बाहर नहीं।

उन्होंने कहा कि खाद्य विभाग के निर्देश पर जब उन्होंने ढाबों के बाहर लाइसेंस की प्रतियां चिपकाईं तो बारिश के कारण वे सभी बह गईं इसलिए उन्हें फिर से लगाने के लिए कहा गया है।

उन्होंने यह भी बताया कि यह केवल मुसलमानों के स्वामित्व वाले ढाबों पर ही नहीं, बल्कि सभी ढाबों पर लागू है।

उच्चतम न्यायालय ने उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में कांवड़ यात्रा मार्ग पर स्थित भोजनालयों के लिए ‘क्यूआर’ कोड संबंधी निर्देश पर रोक लगाने से मंगलवार को इनकार कर दिया और इस मार्ग पर मौजूद सभी होटल मालिकों को निर्देश दिया कि वे वैधानिक आवश्यकताओं के अनुरूप अपने लाइसेंस एवं पंजीकरण प्रमाणपत्र प्रदर्शित करें।

न्यायमूर्ति एम एम सुंदरेश और न्यायमूर्ति एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने कहा कि वह होटल या ढाबा मालिक का नाम एवं क्यूआर कोड प्रदर्शित करने के अन्य मुद्दों पर विचार नहीं कर रही, क्योंकि मंगलवार को कांवड़ यात्रा का अंतिम दिन है।

पीठ ने कहा, ‘‘हमें बताया गया है कि यात्रा का आज अंतिम दिन है… इसलिए इस स्तर पर हम केवल यह आदेश पारित कर सकते हैं कि सभी संबंधित होटल मालिक वैधानिक आवश्यकताओं के अनुसार लाइसेंस और पंजीकरण प्रमाणपत्र प्रदर्शित करने के निर्देश का पालन करेंगे।’’

शीर्ष अदालत ने शिक्षाविद अपूर्वानंद झा और अन्य की याचिका पर सुनवाई के दौरान यह फैसला सुनाया।

हिंदू कैलेंडर के ‘श्रावण’ माह में भगवान शिव का जलाभिषेक करने के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु गंगाजल लेकर विभिन्न स्थानों से कांवड़ लेकर आते हैं। अनेक श्रद्धालु इस महीने में मांसाहार से परहेज करते हैं और अनेक लोग प्याज तथा लहसुन युक्त भोजन भी नहीं करते।

मेरठ में कांवड़ मार्गों पर स्थित होटल और ढाबा मालिकों ने शीर्ष अदालत के आदेश का स्वागत किया है।

दिल्ली-देहरादून मार्ग पर स्थित एक होटल के संचालक नितिन ने कहा, ‘इसमें कुछ भी गलत नहीं है। इससे कांवड़ियों को यह जानकारी मिल जाएगी कि होटल/भोजनालय कौन चला रहा है और वे खाने-पीने का सामान कहां से खरीद रहे हैं।’

कांवड़ यात्रा मार्ग पर स्थित मुस्लिम ढाबा संचालकों ने भी अदालत के निर्देशों का समर्थन किया है।

एक मुस्लिम ढाबा संचालक ने कहा, ‘हम पहले से ही सरकार और उसके फैसलों के साथ हैं।’

बागपत जिले में दुकानदारों ने इस आदेश पर सकारात्मक रुख अपनाया है और इसे धार्मिक भावनाओं के सम्मान से भी जोड़ा है।

चाय की दुकान चलाने वाले इमामुद्दीन ने कहा, ‘यह बहुत अच्छा है। इससे पता चलता है कि दुकान का असली मालिक कौन है। ग्राहक को यह जानने का अधिकार है।’

भाषा

सं, सलीम, आनन्द रवि कांत

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