मुंबई, 23 जुलाई (भाषा) महाराष्ट्र के राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन ने भाषाई नफरत फैलाने से दूर रहने की जरूरत पर जोर देते हुए कहा है कि इससे राज्य को नुकसान होगा और उद्योग व निवेश पर भी असर पड़ेगा।
राज्यपाल की यह टिप्पणी महायुति गठबंधन सरकार द्वारा राज्य के स्कूलों में कक्षा एक से पांच तक हिंदी को तीसरी भाषा के रूप में शामिल करने के कदम पर उठे विवाद के बीच आई है।
इस कदम पर विपक्षी दलों की कड़ी आपत्ति के बाद राज्य मंत्रिमंडल ने पिछले महीने त्रिभाषा नीति के कार्यान्वयन पर दो सरकारी प्रस्ताव (जीआर) वापस लेने का फैसला किया।
मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस पर आधारित एक ‘कॉफी टेबल बुक’ के विमोचन के अवसर पर राधाकृष्णन ने मंगलवार को सवालिया अंदाज में कहा ‘‘अगर आप आकर मुझे पीटें, तो क्या मैं तुरंत मराठी में बोलूंगा?’’
उन्होंने कहा कि अगर इस तरह की नफरत फैलाई गई, तो राज्य में कोई उद्योग और निवेश नहीं आएगा।
उन्होंने कहा, ‘‘हम राज्य को दीर्घकालिक नुकसान पहुंचा रहे हैं।’’
अपना अनुभव बताते हुए राज्यपाल ने कहा कि जब वह तमिलनाडु में सांसद थे तो उन्होंने एक समूह को दूसरे समूह की पिटाई करते देखा क्योंकि वे तमिल नहीं बोल रहे थे।
उन्होंने कहा, ‘‘मैं हिंदी नहीं समझ पाता और यह मेरे लिए एक बाधा है। हमें ज्यादा से ज्यादा भाषाएं सीखनी चाहिए और हमें अपनी मातृभाषा पर गर्व भी होना चाहिए।’’
राज्यपाल की टिप्पणी पर प्रतिक्रिया देते हुए शिवसेना (उबाठा) विधायक आदित्य ठाकरे ने कहा कि राज्य में कोई भाषाई द्वेष नहीं है और राजनीतिक टिप्पणी करने की कोई जरूरत नहीं है।
भाषा सुरभि नरेश
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