नयी दिल्ली, 23 जुलाई (भाषा) दिल्ली की एक अदालत ने बुधवार को भारतीय रेलवे खानपान एवं पर्यटन निगम लिमिटेड (आईआरसीटीसी) में कथित अनियमितताओं से जुड़े एक मामले में राष्ट्रीय जनता दल (राजद) अध्यक्ष लालू प्रसाद, उनकी पत्नी राबड़ी देवी, उनके बेटे तेजस्वी यादव और अन्य के खिलाफ आरोप तय करने का अपना फैसला पांच अगस्त तक के लिए टाल दिया।
आरोपों पर 29 मई को बहस पूरी होने के बाद अदालत ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।
लालू प्रसाद, देवी और यादव ने इस मामले में केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा उन पर लगाए गए भ्रष्टाचार और अन्य आरोपों का खंडन किया है। इन आरोपों में आपराधिक साजिश और धोखाधड़ी भी शामिल है और इनमें अधिकतम सात साल की जेल की सजा का प्रावधान है।
तीनों ने अपने वकील के माध्यम से अदालत के समक्ष दावा किया कि सीबीआई के पास उन पर मुकदमा चलाने के लिए पर्याप्त सबूत नहीं हैं।
संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग)-एक सरकार के दौरान रेल मंत्री रहे लालू प्रसाद ने पहले सीबीआई द्वारा उन पर मुकदमा चलाने के लिए प्राप्त मंजूरी की वैधता पर सवाल उठाया था।
एजेंसी ने 28 फरवरी को अदालत को बताया कि आरोपियों पर मुकदमा चलाने के लिए पर्याप्त सबूत मौजूद हैं।
यह मामला आईआरसीटीसी के दो होटलों के संचालन के ठेके एक निजी कंपनी को देने में कथित अनियमितताओं से जुड़ा है।
सीबीआई के आरोपपत्र के अनुसार, 2004 और 2014 के बीच एक साजिश रची गई थी जिसके तहत ओडिशा के पुरी और झारखंड की राजधानी रांची स्थित भारतीय रेलवे के बीएनआर (बंगाल नागपुर रेलवे) होटलों को पहले आईआरसीटीसी को हस्तांतरित किया गया। बाद में इन्हें संचालन और रखरखाव के लिए पटना स्थित सुजाता होटल्स प्राइवेट लिमिटेड को पट्टे पर दे दिया गया।
सीबीआई ने आरोप लगाया कि निविदा प्रक्रिया में धांधली और हेराफेरी की गई और निजी पक्ष सुजाता होटल्स की मदद के लिए शर्तों में फेरबदल किया गया।
आरोपपत्र में आईआरसीटीसी के पूर्व समूह महाप्रबंधक वी. के. अस्थाना और आर. के. गोयल तथा सुजाता होटल्स के निदेशक एवं चाणक्य होटल के मालिक विजय कोचर और विनय कोचर का भी नाम है।
डिलाइट मार्केटिंग कंपनी, जिसे अब लारा प्रोजेक्ट्स के नाम से जाना जाता है और सुजाता होटल्स को भी आरोपपत्र में आरोपी बनाया गया है।
भाषा
सुरभि नरेश
नरेश