(जी. मंजूसाईनाथ)
बेंगलुरु, 23 जुलाई (भाषा) एकीकृत भुगतान मंच यूपीआई के जरिये हुए लेनदेन को आधार बनाकर माल एवं सेवा कर (जीएसटी) की मांग के लगभग 6,000 नोटिस जारी होने पर कर्नाटक के व्यापारियों ने चिंता जताई है। हालांकि एक शीर्ष कर अधिकारी ने इस कदम को कानून के दायरे के भीतर बताया है।
व्यापारी संगठनों ने यूपीआई लेनदेन के आधार पर जीएसटी भुगतान की मांग करने वाले नोटिस भेजे जाने पर हड़ताल का आह्वान भी किया है।
वाणिज्यिक कर विभाग की संयुक्त आयुक्त मीरा सुरेश पंडित ने पीटीआई-भाषा से बातचीत में कहा कि व्यापारियों के भेजे गए नोटिस अंतिम कर मांग नहीं हैं और नोटिस पाने वाले व्यापारियों को सहयोगी दस्तावेज़ों के साथ इनका जवाब देने का अधिकार है।
उन्होंने कहा कि जवाब संतोषजनक पाए जाने पर या जीएसटी अधिनियम के तहत छूट का हकदार होने पर ये नोटिस वापस ले लिए जाएंगे।
यूपीआई लेनदेन के आधार पर व्यापारियों को भेजे गए नोटिसों के मुद्दे पर कर्नाटक के कई व्यापारी संघों ने अपने सदस्यों से यूपीआई लेनदेन का बहिष्कार करने का आह्वान किया है। उन्होंने इस नोटिस के विरोध में 25 जुलाई को हड़ताल का भी आह्वान किया है।
प्रस्तावित हड़ताल और केवल नकद लेनदेन ही करने के आह्वान पर वरिष्ठ कर अधिकारी ने कहा, “जब कोई व्यक्ति सेवाओं के लिए 20 लाख रुपये या वस्तुओं के लिए 40 लाख रुपये की वार्षिक लेनदेन सीमा को पार कर जाता है, तो उसे जीएसटी अधिनियम के तहत पंजीकरण कराना और अपना कारोबार घोषित करना अनिवार्य है।”
उन्होंने कहा, “पंजीकरण से व्यापारी को उपभोक्ताओं से कर एकत्र करने और उसे सरकार को भुगतान करने का अधिकार मिलता है। ये कर सरकार के लिए हैं, लेकिन जब व्यापारी इन्हें एकत्र कर लेते हैं और जमा नहीं करते हैं, तो उन्हें गैर-पंजीकृत व्यक्ति माना जाता है और फिर उसके हिसाब से हम नोटिस जारी करते हैं।”
उन्होंने कहा कि विभाग पंजीकरण से बचने वाले हर कारोबारी की व्यक्तिगत रूप से पहचान नहीं कर सकता है। इसके बजाय, विभाग के मुख्यालय स्थित सेवा विश्लेषण शाखा ने संभावित चूककर्ताओं की पहचान करने के लिए यूपीआई लेनदेन आंकड़ों जैसे विश्वसनीय स्रोतों का इस्तेमाल किया।
पंडित ने कहा, “यदि किसी व्यक्ति ने यूपीआई के माध्यम से एक वर्ष में सेवाओं के लिए 20 लाख रुपये या वस्तुओं के लिए 40 लाख रुपये से अधिक का लेनदेन किया है, तो वह जीएसटी कानून के तहत पंजीकरण के लिए उत्तरदायी हो जाता है।”
अधिकारी ने कहा कि विभाग को यह पता नहीं होता है कि अमुक फर्म पूरी तरह से छूट प्राप्त है, आंशिक रूप से कर योग्य है या पूरी तरह से कर योग्य है। ऐसी स्थिति में उन्हें पंजीकरण कराने और देय कर, ब्याज और जुर्माने का भुगतान करने का प्रस्ताव शामिल है।
पंडित ने कहा, “यदि कारोबार में ट्यूशन शुल्क जैसी वस्तुओं या सेवाओं से पूरी छूट है, तो फिर पंजीकरण की जरूरत नहीं है। यदि उत्तर संतोषजनक है, तो नोटिस वापस ले लिया जाएगा और कार्यवाही शून्य मांग के साथ बंद कर दी जाएगी।”
उन्होंने व्यापारी समुदायों के बीच जीएसटी मांग नोटिस को लेकर व्याप्त शंकाओं को भी दूर करने की कोशिश की।
उन्होंने कहा, “कुछ भोले-भाले व्यापारी इस उम्मीद में बहक रहे हैं कि हर नोटिस को वापस ले लिया जाएगा। कुछ को गुमराह भी किया जा रहा है। लेकिन अगर उन्हें कानूनी प्रावधान के तहत राहत चाहिए तो मेरा उनसे अनुरोध है कि वे विभाग से संपर्क करें। हम कानून के अनुरूप उनका मार्गदर्शन करेंगे।”
उन्होंने व्यापारियों से कहा कि बंद का आह्वान करने से कोई भी मकसद पूरा नहीं होगा और उन्हें शांतिपूर्ण ढंग से अपनी बात रखनी चाहिए।
भाषा अनुराग प्रेम
प्रेम