भोपाल, 23 जुलाई (भाषा) मध्यप्रदेश के उपमुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ल ने इस बात पर बल दिया कि किशोरों को यह सिखाना जरूरी है कि वे अपने और अपने साथियों के मानसिक स्वास्थ्य का ध्यान कैसे रखें और उन्होंने इसे राज्य व देश के भविष्य के लिए एक महत्वपूर्ण निवेश बताया।
शुक्ला मंगलवार को स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा ‘यूनिसेफ’ और राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य एवं तंत्रिका विज्ञान संस्थान (एनआईएमएचएएनएस) के सहयोग से भोपाल में आयोजित राष्ट्रीय परामर्श कार्यक्रम में बोल रहे थे।
यह कार्यक्रम राष्ट्रीय किशोर स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरकेएसके) के तहत पहले से मौजूद किशोर साथियों के सहयोग वाले मॉड्यूल में एक नया प्रशिक्षण मॉड्यूल ‘आई सपोर्ट माय फ्रेंड्स’ जोड़ने और किशोर व युवाओं के मानसिक स्वास्थ्य पर एक राष्ट्रीय तथ्यपत्र (फैक्टशीट) जारी करने के अवसर पर आयोजित किया गया था।
राज्य के स्वास्थ्य मंत्री का प्रभार भी देख रहे शुक्ला ने कहा, ‘‘हमारे किशोरों को यह सिखाना कि वे अपने और अपने साथियों के मानसिक स्वास्थ्य का ख्याल कैसे रखें। यही मध्यप्रदेश और देश के भविष्य में एक महत्वपूर्ण निवेश है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘आरकेएसके और नए सहयोग मॉड्यूल जैसी पहलों के जरिए हम ऐसा समाज बना रहे हैं जहां युवाओं की बात सुनी जाती है, उन्हें समर्थन मिलता है और वे आगे बढ़ने के लिए सक्षम होते हैं।’’
स्वास्थ्य राज्य मंत्री एन शिवाजी पटेल ने युवाओं की बात सुनने और उनका समर्थन करने के महत्व पर प्रकाश डाला।
उन्होंने कहा, ‘‘आज किशोरों को भारी दबाव का सामना करना पड़ता है, चाहे वह पढ़ाई से हो, परिवार से हो या उनके सामाजिक परिवेश से। हमें ऐसी व्यवस्थाएं बनानी चाहिए जो उन्हें अपनी बात कहने, उनकी बात सुनने और उनका समर्थन महसूस करने का अवसर प्रदान करें।’’
पटेल ने कहा, ‘‘उनके मानसिक स्वास्थ्य में निवेश करना केवल एक नीतिगत प्राथमिकता नहीं है, बल्कि यह एक नैतिक जिम्मेदारी और हमारे साझा भविष्य के प्रति प्रतिबद्धता है।’’
एक विज्ञप्ति में कहा गया है कि यह मॉड्यूल किशोरों को भावनात्मक तनाव के लक्षणों की पहचान करने, सहानुभूतिपूर्ण सहायता प्रदान करने और आगे की सहायता के वास्ते साथियों से जुड़ने के लिए व्यावहारिक उपकरणों से लैस करने की तत्काल आवश्यकता को दर्शाता है, साथ ही उनकी अपनी सीमाओं और कल्याण की रक्षा भी करता है।
यूनिसेफ-डब्ल्यूएचओ के वैश्विक संसाधन से अपनाया गया और एनआईएमएचएएनएस द्वारा प्रासंगिक यह एक दिवसीय प्रशिक्षण ‘लुक (देखो), लिसन (सुनो), लिंक (जोड़ो)’ ढांचे पर आधारित है और इसमें संवाद सत्र, परिस्थितिजन्य अध्ययन और मार्गदर्शित विचार-विमर्श का उपयोग किया गया ताकि भावनात्मक साक्षरता, सहयोगी संवाद और जिम्मेदार साथी सहभागिता को बढ़ावा मिल सके।
एनआईएमएचएएनएस की निदेशक डॉ. प्रतिमा मूर्ति ने मानसिक स्वास्थ्य सहायता को जल्दी शुरू करने और इसे स्कूलों और सामुदायिक स्थानों जैसी रोजमर्रा के माहौल में शामिल करने की आवश्यकता पर प्रकाश डाला।
उन्होंने कहा, ‘‘युवाओं की जटिल मानसिक स्वास्थ्य आवश्यकताओं को देखते हुए, तकनीकी विशेषज्ञों, युवाओं, नीति निर्माताओं, निर्णय लेने वालों और मीडिया को एक साथ लाकर आयोजित किए जाने वाले इस तरह के परामर्श अपूर्ण जरूरतों को पूरा करने और देश के विकसित भारत के दृष्टिकोण को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।’’
‘यूनिसेफ इंडिया’ के स्वास्थ्य प्रमुख डॉ. विवेक सिंह ने हाल के दिनों में भारत द्वारा मानसिक स्वास्थ्य के क्षेत्र में की गई उल्लेखनीय प्रगति पर प्रकाश डाला।
उन्होंने कहा, ‘‘हमें मानसिक स्वास्थ्य की देखभाल में सिर्फ प्रतिक्रिया देने के बजाय समुदाय-आधारित मानसिक स्वास्थ्य प्रणालियों की ओर बढ़ना होगा। एक एकीकृत मानसिक स्वास्थ्य ढांचे पर भी ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है। यूनिसेफ इस बदलाव में युवाओं के नेतृत्व वाले, व्यापक दृष्टिकोण के माध्यम से सरकार का समर्थन करने के लिए प्रतिबद्ध है।’’
भाषा दिमो खारी
खारी