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Thursday, July 24, 2025

समाज और श्रम बाजार पर नई प्रौद्योगिकियों के प्रभाव का आकलन करने की जरूरत: भागवत

Newsसमाज और श्रम बाजार पर नई प्रौद्योगिकियों के प्रभाव का आकलन करने की जरूरत: भागवत

नयी दिल्ली, 23 जुलाई (भाषा) राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत ने बुधवार को समाज और श्रम बाजार पर उभरती प्रौद्योगिकियों के प्रभाव का आकलन करने का आह्वान करते हुए कहा कि यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि इनका रोजगार के अवसरों पर प्रतिकूल प्रभाव न पड़े।

भारतीय मजदूर संघ की स्थापना के 70 वर्ष पूरे होने के अवसर पर आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए भागवत ने असंगठित क्षेत्र पर अधिक ध्यान देने की आवश्यकता पर बल दिया ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि श्रमिकों को अपने नियोक्ताओं द्वारा किसी भी प्रकार के शोषण का सामना न करना पड़े।

इस कार्यक्रम में केंद्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्री मनसुख मांडविया तथा विभिन्न मजदूर संगठनों के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया।

भागवत ने कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) और इसके उपयोग से जुड़ी चिंताओं का स्पष्ट संदर्भ देते हुए कहा, ‘‘प्रौद्योगिकी आ रही है… जब नई प्रौद्योगिकियां आती हैं, तो वे साथ में कई नए प्रश्न भी लेकर आती हैं। बेरोजगारी का क्या होगा? क्या इससे बेरोजगारी घटेगी या बढ़ेगी?’’

उन्होंने कहा कि प्रौद्योगिकी मानव स्वभाव को ‘‘कुछ हद तक कठोर’’ बना देती है और ”कहीं न कहीं” श्रम के प्रति सम्मान को कम कर देती है।

संघ प्रमुख ने कहा, ‘‘प्रौद्योगिकी को अस्वीकार नहीं किया जा सकता। नई प्रौद्योगिकी आएगी, लेकिन इसका उपयोग कैसे किया जाए और यह सुनिश्चित किया जाए कि इसका श्रम क्षेत्र पर प्रभाव न पड़े, इस पर विचार किया जाना चाहिए।’’

उन्होंने कहा, ‘‘नई प्रौद्योगिकियों के इस्तेमाल से समाज में नई समस्याएं पैदा होने के बजाय, खुशहाली आनी चाहिए। इसीलिए इस मुद्दे पर विचार करने और कार्रवाई करने की आवश्यकता है। हमें यह करना ही होगा।’’

भारतीय मजदूर संघ (बीएमएस) आरएसएस से संबद्ध संगठन है।

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए, मांडविया ने कहा कि विभिन्न मजदूर संगठनों की कार्य संस्कृति अलग-अलग होती है, जो उनकी विचारधाराओं के अनुरूप होती है, लेकिन बीएमएस ने अपनी कार्य संस्कृति को भारतीय जीवनशैली के अनुरूप तैयार किया है, ‘‘जो मेरे साथ श्रम मुद्दों पर उसकी चर्चा में परिलक्षित होता है।’’

उन्होंने कहा कि सड़कें, पुल और अन्य बुनियादी ढांचे बनाने वाले श्रमिक ही हैं, और यही शक्ति देश के विकास और आर्थिक प्रगति को आगे बढ़ा रही है।

मांडविया ने आशा व्यक्त की कि भारतीय मज़दूर संघ (बीएमएस) पूरी ऊर्जा के साथ श्रमिकों और राष्ट्र के कल्याण के लिए कार्य करेगा।

भाषा शफीक पवनेश

पवनेश

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