ठाणे, 23 जुलाई (भाषा) महाराष्ट्र के ठाणे जिले की एक विशेष अदालत ने यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (पॉक्सो) अधिनियम के तहत दर्ज एक मामले में एक नाबालिग लड़के की गवाही को विश्वसनीय मानते हुए आरोपी व्यक्ति को यौन उत्पीड़न का दोषी ठहराया और उसे पांच साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई।
विशेष न्यायाधीश डीएस देशमुख ने रविकुमार रोहिदास पर 5,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया। हालांकि, उन्होंने रोहिदास को भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा-377 (प्रकृति के विरुद्ध शारीरिक संबंध) और पॉक्सो अधिनियम की धारा-6 के तहत दंडनीय धारा 5-एम (गंभीर यौन उत्पीड़न) से जुड़े आरोपों से बरी कर दिया।
जुर्माने की राशि पीड़ित को मुआवजे के रूप में दी जाएगी।
गत 19 जुलाई को पारित इस आदेश की प्रति बुधवार को उपलब्ध कराई गई।
अभियोजन पक्ष के मुताबिक, रोहिदास ने पीड़ित बच्चे को 13 मई 2022 को चॉकलेट का लालच दिया और अपने साथ सुनसान जगह पर ले गया।
उसने बताया कि बच्चा अगले दिन घायल अवस्था में घर लौटा और बताया कि रोहिदास उसे एक नाले के पास ले गया, उसके गाल पर पत्थर से हमला किया, उसे धमकाया, उसके कपड़े उतार दिए और यौन इरादे से उसके निजी अंगों को छुआ।
विशेष अदालत में सात गवाहों के बयान दर्ज किए गए।
न्यायाधीश ने कहा, “अकेले पीड़ित बच्चे की गवाही ही यह साबित करने के लिए पर्याप्त है कि आरोपी ने यौन इरादे से उस पर गंभीर यौन हमला किया था।’ उन्होंने चिकित्सा साक्ष्यों पर भरोसा किया, जिनसे पीड़ित के चेहरे पर खरोंचों सहित चोटों की पुष्टि हुई।
भाषा पारुल पवनेश
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