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Thursday, July 24, 2025

जुझारू व्यापार साझेदारियों से भारत के लिए रणनीतिक अवसर उपलब्धः आरबीआई बुलेटिन

Newsजुझारू व्यापार साझेदारियों से भारत के लिए रणनीतिक अवसर उपलब्धः आरबीआई बुलेटिन

मुंबई, 23 जुलाई (भाषा) बढ़ती अनिश्चितताओं और भू-आर्थिक विखंडन के बीच अधिक जुझारू व्यापार साझेदारियां बनाने से भारत के लिए वैश्विक मूल्य शृंखला के साथ एकीकरण गहरा करने का रणनीतिक अवसर मिलता है। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने एक बुलेटिन में यह बात कही है।

जुलाई माह के इस बुलेटिन में यह भी कहा गया है कि सीमा शुल्क नीति से जुड़ी अनिश्चितताओं के बावजूद जून-जुलाई के दौरान भारत की आर्थिक गतिविधियां स्थिर बनी रहीं।

भारत बृहस्पतिवार को ब्रिटेन के साथ एक मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) पर हस्ताक्षर करने वाला है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी इस व्यापक आर्थिक और व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर के लिए पहले ही लंदन रवाना हो चुके हैं।

इसके अलावा अमेरिका के साथ द्विपक्षीय व्यापार समझौते के लिए भी भारत इस समय बात कर रहा है।

‘अर्थव्यवस्था की स्थिति’ पर एक लेख के मुताबिक, भू-राजनीतिक तनाव और शुल्क नीति की अनिश्चितताओं के बीच जून और जुलाई में अबतक वैश्विक व्यापक आर्थिक परिवेश अस्थिर बना हुआ है।

लेख के मुताबिक, ‘‘खरीफ कृषि सत्र की बेहतर संभावनाओं, सेवा क्षेत्र में मजबूत रफ्तार जारी रहने और औद्योगिक गतिविधियों में मामूली वृद्धि के साथ घरेलू आर्थिक गतिविधियां स्थिर रहीं।’’

लेख कहता है कि एक अगस्त, 2025 से नई आयात शुल्क दरें लागू होने से पहले व्यापार सौदों को अंतिम रूप देने के लिए गहन बातचीत चल रही है, और ध्यान फिर से अमेरिकी व्यापार नीतियों और वैश्विक स्तर पर उनके प्रभावों पर केंद्रित है।

लेख में कहा गया है कि औसत व्यापार शुल्क दरें 1930 के दशक के बाद से अभूतपूर्व स्तर को छूने वाली हैं।

इसके अलावा, अतिरिक्त क्षेत्रों पर नए उच्च शुल्क लागू होने का जोखिम भी मंडरा रहा है। वैश्विक व्यापार प्रवाह और आपूर्ति शृंखलाओं का विकसित होता स्वरूप अब भी स्थिर नहीं है। ये अनिश्चितताएं वैश्विक आर्थिक संभावनाओं के लिए काफी प्रतिकूल हैं।

इसमें कहा गया है कि खाद्य कीमतों में गिरावट के कारण जून में लगातार पांचवें महीने मुख्य खुदरा मुद्रास्फीति चार प्रतिशत से नीचे रही।

इसके अलावा, नीतिगत दरों में कटौती का लाभ ऋण बाजारों तक तेजी से पहुंचाने के लिए प्रणालीगत नकदी भी अधिशेष की स्थिति में रही।

लेख में कहा गया है कि पर्याप्त विदेशी मुद्रा भंडार और विदेशी ऋण से सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के मध्यम अनुपात के कारण बाह्य क्षेत्र लचीला बना हुआ है।

हालांकि, आरबीआई ने कहा कि लेख में व्यक्त विचार लेखकों के हैं और उसके विचारों का प्रतिनिधित्व नहीं करते हैं।

भाषा प्रेम

प्रेम अजय

अजय

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