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बेंगलुरु, 23 जुलाई (भाषा) कर्नाटक सरकार ने बुधवार को छोटे व्यापारियों को बड़ी राहत देते हुए कहा कि यूपीआई लेनदेन के आधार पर जारी किए गए दो-तीन साल पुराने जीएसटी नोटिसों पर अब आगे कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी।
राज्य सरकार की तरफ से आश्वासन मिलने के बाद व्यापारियों ने भी 25 जुलाई को प्रस्तावित अपनी हड़ताल तत्काल वापस ले ली। इस निर्णय से व्यापारियों और सरकार के बीच चल रहा गतिरोध समाप्त हो गया है।
हालांकि, सरकार ने इस बात पर जोर दिया कि नोटिस जारी करने की कार्रवाई कानून के दायरे में ही थी।
बुधवार को मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने व्यापारी संगठनों के साथ चर्चा की, जिसमें माल एवं सेवा कर (जीएसटी) नोटिस को लेकर बनी भ्रम की स्थिति पर चिंता व्यक्त की गई।
कर्नाटक के हजारों व्यापारियों को एकीकृत भुगतान इंटरफेस (यूपीआई) के जरिये किए गए लेनदेन पर वाणिज्यिक कर विभाग ने जीएसटी नोटिस जारी किए हैं। इनमें से कई नोटिस ऋण राशि और व्यक्तिगत लेनदेन से संबंधित हैं।
राज्य के मुख्य विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के प्रदेश अध्यक्ष बी वाई विजयेंद्र ने मुख्यमंत्री पर वाणिज्यिक कर विभाग के लिए लक्ष्य निर्धारित करने का आरोप लगाया। उन्होंने सरकार से नोटिस वापस लेने का आग्रह करते हुए व्यापारियों के 25 जुलाई को काम बंद करने के आह्वान का भी समर्थन किया।
मुख्यमंत्री ने इस पर कहा कि पुराने कर बकाया को आगे नहीं बढ़ाया जाएगा, बशर्ते कि सभी व्यापारी जीएसटी अधिनियम के तहत पंजीकरण कराएं और आगे से जीएसटी का भुगतान करना शुरू कर दें।
व्यापार संगठनों के साथ बैठक के बाद सिद्धरमैया ने कहा, “मैंने व्यापारियों से कहा कि वे हड़ताल पर न जाएं और न ही ‘फ्रीडम पार्क’ पर प्रदर्शन करें। वे अपना आंदोलन वापस लेने पर सहमत हो गए हैं।”
उन्होंने कहा कि “हम छूट प्राप्त वस्तुओं का व्यापार करने वाले व्यापारियों से कर नहीं वसूलेंगे, भले ही उन्हें नोटिस जारी कर दिए गए हों। मैंने अधिकारियों को यह भी निर्देश दिया है कि वे पिछले दो-तीन वर्षों के बकाया भुगतान के लिए नोटिस से संबंधित मामलों को आगे न बढ़ाएं।”
मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार इन बकाया राशि पर कोई कार्रवाई नहीं करेगी और यह सुनिश्चित करेगी कि व्यापारियों को समस्याओं का सामना न करना पड़े – बशर्ते वे वाणिज्यिक कर विभाग में पंजीकरण कराएं।
उन्होंने कहा, “व्यापारियों के लिए जीएसटी पंजीकरण कराना अनिवार्य है। पंजीकरण अनिवार्य है क्योंकि सभी को कर के दायरे में लाना जरूरी है।”
उन्होंने स्पष्ट किया कि केवल छूट प्राप्त वस्तुओं का व्यापार करने वाले व्यवसायों को पंजीकरण कराने की आवश्यकता नहीं होगी।
मुख्यमंत्री ने एक बयान में कहा कि नोटिस केवल 40 लाख रुपये से अधिक यूपीआई लेनदेन वाले व्यापारियों को ही जारी किए गए थे और इस पहल का मुख्य उद्देश्य जीएसटी पंजीकरण को बढ़ावा देना था।
सिद्धारमैया ने छोटे व्यापारियों को समर्थन देने और वैध व्यापार प्रक्रियाओं को सुनिश्चित करने के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहराई।
इससे पहले कई व्यापारी संघों ने इन व्यवसायों से यूपीआई लेनदेन का बहिष्कार करने का आह्वान किया था और शुक्रवार को राज्यव्यापी हड़ताल की घोषणा की थी।
यूपीआई के जरिये हुए लेनदेन को आधार बनाकर प्रदेश सरकार ने लगभग 6,000 जीएसटी नोटिस जारी किए थे, जिसके बाद प्रदेश के व्यापारियों ने हड़ताल का आह्वान किया था।
भाषा अनुराग प्रेम
प्रेम