नयी दिल्ली, 23 जुलाई (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को केंद्रीय अधिकार प्राप्त समिति (सीईसी) को हरियाणा सरकार के साथ परामर्श कर नूंह जिले के अरावली क्षेत्र में अवैध खनन से तबाह हुए क्षेत्र की बहाली के लिए योजना बनाने को कहा।
प्रधान न्यायाधीश बी आर गवई, न्यायमूर्ति के. विनोद चंद्रन और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की पीठ ने राज्य सरकार से कहा कि वह बहाली योजना तैयार करने में शीर्ष अदालत द्वारा नियुक्त सीईसी को उचित सहयोग प्रदान करे।
पीठ ने राज्य सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता की दलीलों पर गौर किया और स्थिति को सुधारने के लिए अब तक उठाए गए कदमों पर संतोष व्यक्त किया। अवैध खनन से प्रभावित किसानों का प्रतिनिधित्व अधिवक्ता गौरव बंसल ने किया।
पीठ ने मामले की सुनवाई 12 सप्ताह बाद के लिए तय की।
शीर्ष अदालत ने 29 मई को सुनवाई के दौरान खनन माफिया और दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई न करने के लिए हरियाणा सरकार को कड़ी फटकार लगाई थी। इन अधिकारियों पर वन कानूनों का उल्लंघन करने और नूंह में अरावली से खनन कर निकाले गए पत्थरों को अवैध रूप से राजस्थान ले जाए जाने पर कार्रवाई नहीं करने का आरोप है।
इस मामले में हरियाणा के मुख्य सचिव द्वारा दायर ‘‘गोलमाल’’ हलफनामे की भी अदालत ने कड़ी आलोचना की थी।
पीठ, खनन माफिया द्वारा राज्य सरकार के अधिकारियों के साथ मिलीभगत से अरावली की संरक्षित वन भूमि से होकर गुजरने वाली 1.5 किलोमीटर लंबी अनाधिकृत सड़क के निर्माण से संबंधित याचिका पर सुनवाई कर रही थी।
इस सड़क का इस्तेमाल नूंह में अरावली से निकाले गए पत्थरों को राजस्थान तक अवैध रूप से पहुंचाने के लिए किया जाना है।
भाषा शफीक रंजन
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