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Thursday, July 24, 2025

दिल्ली के कई इलाकों में ध्वनि प्रदूषण, लोगों ने कांवड़ यात्रा के दौरान तेज संगीत को जिम्मेदार ठहराया

Newsदिल्ली के कई इलाकों में ध्वनि प्रदूषण, लोगों ने कांवड़ यात्रा के दौरान तेज संगीत को जिम्मेदार ठहराया

नयी दिल्ली, 23 जुलाई (भाषा) राष्ट्रीय राजधानी के कई हिस्सों में पिछले कुछ दिनों में ध्वनि का स्तर स्वीकार्य सीमा से अधिक रहा और दिल्ली पुलिस को पिछले छह दिनों में विभिन्न स्थानों से शोर और यातायात प्रभावित होने से संबंधित 350 से अधिक शिकायतें प्राप्त हुईं। विभिन्न विभागों से प्राप्त आंकड़ों से यह जानकारी मिली।

यह अवधि कांवड़ यात्रा के साथ मेल खाती है, जो 11 जुलाई को शुरू हुई थी और बुधवार को समाप्त हुई।

दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) के आंकड़ों के अनुसार, मंगलवार सुबह छह बजे से रात 10 बजे के बीच शाहदरा में 87.5 डेसिबल का उच्चतम औसत ध्वनि स्तर दर्ज किया गया, जो आवासीय क्षेत्रों के लिए दिन के समय की वैध सीमा से 30 डेसिबल से भी ज्यादा है।

रात में, स्थिति और भी खराब हो गई। रात 10 बजे से सुबह छह बजे के बीच, इसी इलाके में 85 डेसिबल ध्वनि स्तर दर्ज किया गया, जो स्वीकृत 45 डेसिबल से लगभग दोगुना है।

अन्य प्रभावित स्थानों में विवेक विहार (66.6 डेसिबल), करणी सिंह शूटिंग रेंज (75.6 डेसिबल), नेशनल स्टेडियम (72.5 डेसिबल), करोल बाग (71.6 डेसिबल) और पूसा (69.6 डेसिबल) शामिल थे।

शहर में डीपीसीसी के 31 ध्वनि स्तर निगरानी स्टेशनों में से, जिनमें से 23 इस सप्ताह सक्रिय थे, 17 ने तय सीमा से ऊपर ध्वनि स्तर दर्ज किया, जिनमें उत्तर-पूर्वी, मध्य और पश्चिम दिल्ली के स्टेशन शामिल हैं।

इस संबंध में एक अधिकारी ने बताया कि इस मौसम में कुछ इलाकों में धार्मिक गतिविधियों के कारण ध्वनि प्रदूषण होता है, लेकिन यह अस्थायी होता है और कुछ दिनों तक ही सीमित रहता है।

हालांकि, निवासियों को इसका असर बहुत ज्यादा महसूस हुआ।

शाहदरा के एक निवासी ने कहा, ‘‘जीटीबी अस्पताल पास ही है और रात में वहां से गुजरने वाले तेज आवाज वाले (डीजे) वाहन न सिर्फ हमें बल्कि अस्पताल के मरीजों को भी परेशान करते हैं। निवासियों को कांवड़ यात्रा से कोई समस्या नहीं है, लेकिन रात में तेज आवाज में बजने वाला संगीत असहनीय है।’’

इस बीच, दिल्ली में 2,500 से ज्यादा आरडब्ल्यूए की शीर्ष संस्था ‘यूनाइटेड रेजिडेंट्स जॉइंट एक्शन’ के प्रमुख अतुल गोयल ने इस दौरान पुलिस व्यवस्था पर सवाल उठाए।

गोयल ने कहा, ‘‘इससे पता चलता है कि ध्वनि प्रदूषण के नियम सिर्फ कागजों पर ही हैं। किसी भी अन्य आयोजन में रात 10 बजे के बाद लाउडस्पीकर बंद कर दिए जाते हैं, लेकिन इस मामले में तो देर रात तक सड़क के बीचों-बीच इनका इस्तेमाल हो रहा था। यात्रा जुलूस बिना लाउडस्पीकर के भी निकल सकते हैं और पुलिस इसे आसानी से नियंत्रित कर सकती थी।’’

भाषा शफीक नेत्रपाल

नेत्रपाल

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