हरिद्वार, 23 जुलाई (भाषा) करीब एक पखवाड़े तक हरिद्वार में चली दुनिया की सबसे बड़ी धार्मिक कांवड़ यात्रा बुधवार को बिना किसी बाधा के संपन्न हो गई लेकिन गंगा जल भरने आये शिवभक्तों द्वारा छोड़े गए हजारों टन कूड़े का निस्तारण कर शहर को फिर साफ-सुथरा बनाना प्रशासन के लिए एक नयी चुनौती बन गया है।
एक अनुमान के अनुसार, हरिद्वार क्षेत्र में ही 10 हजार मीट्रिक टन कूड़ा जमा हो गया है और अगर सही तरीके से सफाई अभियान चलाया जाए तो इसके निस्तारण में दो हफ्ते से अधिक का समय लग जाएगा।
प्रशासनिक सूत्रों ने दावा किया कि इस साल साढ़े चार करोड़ से अधिक कांवड़िए गंगा जल भरने के लिए हरिद्वार पहुंचे।
हरिद्वार के जिलाधिकारी मयूर दीक्षित ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि कांवड़ यात्रा में रोजाना लाखों की संख्या में पैदल और वाहनों से कांवड़िए हरिद्वार पहुंच रहे थे और ऐसे में सफाईकर्मियों के लिए क्षेत्र में कूड़ा वाहन लेकर जाना संभव नहीं हो पा रहा था ।
उन्होंने कहा कि इसलिए ऐसे क्षेत्रों में नियमित सफाई नहीं हो पा रही थी लेकिन जिन क्षेत्रों में सफाईकर्मी जा पा रहे थे, वहां सफाई का काम निरंतर चलता रहा।
हरिद्वार नगर निगम के मुख्य नगर आयुक्त नन्दन कुमार ने बताया, “ हरिद्वार में लगातार 15 दिन तक बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं के आने की वजह से सफाई व्यवस्था एक बड़ी चुनौती थी जिसे हमने पूरा किया।”
हालांकि, उन्होंने माना कि इससे भी बड़ी चुनौती कांवड़ यात्रा संपन्न होने के बाद सफाई की है।
उन्होंने बताया कि अभी तक निगम क्षेत्र में करीब 10 हजार मीट्रिक टन कूड़ा एकत्र होने का अनुमान है।
नगर आयुक्त ने कहा कि सही आंकड़ा आने में एक-दो दिन और लगेंगे।
नन्दन कुमार ने कहा कि कांवड़ मेला संपन्न होने के साथ ही नगर क्षेत्र में सफाई का काम शुरू कर दिया गया है।
उन्होंने कहा कि शुरुआत में नगरीय सड़कों और गंगा के घाटों की सफाई कराई जा रही है जिसे तीन दिन के भीतर पूरा कर लिया जाएगा ।
अधिकारी ने कहा कि इसके बाद पार्किंग सहित अंदरूनी क्षेत्रों की सफाई युद्ध स्तर पर की जाएगी।
कुमार ने बताया कि नगर निगम क्षेत्र में एक हजार सफाई कर्मी इस काम में लगाए गए है।
हरिद्वार आने वाले अधिकांश कांवड़िए मुख्य स्नान घाट हरकी पौड़ी से ही गंगा जल भरते हैं।
हर की पैड़ी का प्रबंध देखने वाली संस्था श्री गंगा सभा के अध्यक्ष नितिन गौतम ने बताया कि हर की पैड़ी में सबसे बड़ी समस्या प्लास्टिक का कचरा है जिसे कांवड़िए छोड़ कर जाते है।
उन्होंने कहा कि इनमें बैग, पॉलीथिन, प्लास्टिक के गिलास, कप और बिछाने के काम आने वाली प्लास्टिक की चादरें शामिल हैं।
गौतम ने बताया कि प्रशासन के साथ ही गंगा सभा भी सफाई व्यवस्था में लगी हुई है जहां उसके कर्मचारी भी घाटों की धुलाई कर रहे हैं।
कांवड़ मेला क्षेत्र में गंदगी की एक बड़ी वजह स्वयंसेवी संस्थाओं और कुछ निजी लोगों द्वारा कांवड़ियों के लिए लगाए जाने वाले शिविर भी है।
स्थानीय नागरिक विपिन शर्मा ने बताया कि जगह—जगह लगने वाले भंडारे, शरबत आदि के स्टॉल में इस्तेमाल होने वाले समान को कांवड़िए सड़कों पर ही छोड़ कर चले जाते है जिससे सड़को पर गंदगी फैलती रहती है।
भाषा सं दीप्ति नोमान
नोमान