नयी दिल्ली, 23 जुलाई (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को उत्तर प्रदेश के गौतमबुद्ध नगर में नोएडा प्राधिकरण द्वारा अधिगृहीत भूमि के लिए दिए गए मुआवजे पर अपना आदेश वापस ले लिया और कहा कि यह (मुआवजा) धोखाधड़ी से प्राप्त किया गया था तथा इसे अमान्य होने के कारण रिकॉर्ड से हटा दिया जाना चाहिए।
न्यायमूर्ति सूर्यकांत, न्यायमूर्ति उज्जल भुइयां और न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता की पीठ ने भूमि के स्वामित्व को लेकर विवाद पर फैसला सुनाया, जिसे 1997 में तीन व्यक्तियों रेड्डी वीराना, विष्णु वर्धन और टी सुधाकर ने खरीदा था और 2005 में नोएडा प्राधिकरण द्वारा अधिगृहीत किया गया था तथा अब यह सेक्टर 18 में नोएडा के वाणिज्यिक केंद्र का हिस्सा है।
यह आरोप लगाया गया था कि वीराना ने सिविल अदालतों से लेकर उच्च न्यायालय और 2022 में उच्चतम न्यायालय तक विभिन्न न्यायिक मंचों के समक्ष कई कार्यवाहियों में धोखाधड़ी से भूमि के एकमात्र स्वामित्व का दावा किया था, जब शीर्ष अदालत ने वीराना को बढ़ा हुआ मुआवजा देने का आदेश पारित किया था।
वीराना पर आरोप है कि उन्होंने धोखाधड़ी से वर्धन और सुधाकर को हटा दिया तथा मुआवजे की राशि हड़प ली।
विष्णु वर्धन ने वीराना के दावे का विरोध किया और शीर्ष अदालत के मई, 2022 के आदेश को वापस लेने का अनुरोध किया।
पीठ के लिए फैसला लिखने वाले न्यायमूर्ति दत्ता ने कहा कि धोखाधड़ी पर इस न्यायालय के अनेक निर्णयों से यह निष्कर्ष निकलता है कि धोखाधड़ी और न्याय एक साथ नहीं रह सकते।
आदेश में कहा गया, “हालांकि, भले ही विष्णु ने समीक्षा के लिए आवेदन नहीं किया हो – उपरोक्त चर्चाओं के तार्किक परिणाम के रूप में – रेड्डी वीराना (2022 का फैसला) का निर्णय भी रेड्डी द्वारा धोखाधड़ी करके प्राप्त किया गया था, इसे भी रिकॉर्ड से मिटा दिया जाना चाहिए क्योंकि यह अमान्य है।”
पीठ ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के 28 अक्टूबर, 2021 के फैसले को भी रद्द कर दिया, जिसमें वीराना को संपत्ति का एकमात्र मालिक स्वीकार किया गया था और मुआवजे को 152.04 रुपये प्रति वर्ग मीटर से बढ़ाकर 1,10,000 रुपये प्रति वर्ग मीटर कर दिया गया था तथा कहा था कि धोखाधड़ी ने पूरी कार्यवाही को दूषित कर दिया है।
शीर्ष अदालत ने मामले को वापस उच्च न्यायालय में भेज दिया और निर्देश दिया कि भूमि के अन्य दो मालिकों विष्णु वर्धन और टी सुधाकर को अतिरिक्त प्रतिवादी के रूप में पक्षकार बनाया जाए।
भाषा प्रशांत नेत्रपाल
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