शिलांग, 23 जुलाई (भाषा) मेघालय उच्च न्यायालय ने उस जनहित याचिका पर महाधिवक्ता से जवाब मांगा है, जिसमें एक समूह ने खासी वंशावली कानून के प्रावधानों को चुनौती दी है।
समूह ने उस कानून के प्रावधानों को चुनौती दी है, जो उन लोगों को अनुसूचित जनजाति प्रमाण पत्र जारी करने पर प्रतिबंध लगाता है जो अपने पिता या पति के उपनाम का इस्तेमाल करना चुनते हैं।
‘सिंगखोंग रिम्फेई थिम्माई’ नामक समूह मातृवंशीय प्रणाली में सुधार की मांग कर रहा है, जहां वंश और उत्तराधिकार मां के माध्यम से होता है।
खासी हिल्स स्वायत्त जिला (खासी सामाजिक वंशावली प्रथा) अधिनियम, 1997 के कई प्रावधानों के जरिये मेघालय में खासी जनजातियों द्वारा प्रचलित मातृवंशीय वंश को संरक्षित करने का प्रयास किया गया।
उच्च न्यायालय एक जनहित याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जिसमें अधिनियम के तहत लगाए गए प्रतिबंधों की कानूनी वैधता को चुनौती दी गई है और खासी लोगों को अनुसूचित जनजाति प्रमाण पत्र जारी करने को लेकर चिंता जताई गई है, जो अपने पिता या पति से उपनाम अपनाना चुनते हैं।
पीठ ने निर्देश दिया कि महाधिवक्ता को नोटिस दिया जाए। इसने मामले में अगली सुनवाई की तिथि सात अगस्त तय की।
भाषा
देवेंद्र नेत्रपाल
नेत्रपाल