पीलीभीत (उप्र), 23 जुलाई (भाषा) उत्तर प्रदेश सरकार तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तान (अब बांग्लादेश) से विस्थापित होकर पीलीभीत जिले के 25 गांवों में बसे 2,196 शरणार्थी परिवारों को बड़ी राहत देते हुए उन्हें जमीन का मालिकाना हक देने जा रही है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के हाल ही में दिए गए निर्देश के बाद इन परिवारों की लंबे समय से चली आ रही मांग अब पूरी होने के करीब है।
जिलाधिकारी ज्ञानेंद्र सिंह ने बुधवार को संवाददाताओं को बताया कि अंतिम निर्देश प्राप्त होते ही प्रशासन तुरंत इस संबंध में प्रक्रिया शुरू कर देगा।
पीलीभीत के प्रभारी मंत्री बलदेव सिंह औलख ने इस निर्णय के लिए मुख्यमंत्री का आभार व्यक्त किया है।
अधिकारियों ने बताया कि मुख्यमंत्री ने संबंधित विभागों को निर्देश जारी कर दिए हैं। अब केवल औपचारिक प्रक्रियाएं बाकी हैं। विस्थापित परिवारों को 62 साल के इंतज़ार के बाद अब उस जमीन की कानूनी मान्यता मिलने वाली है जिस पर वे रह रहे हैं और खेती कर रहे हैं।
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के जिलाध्यक्ष संजीव प्रताप सिंह, पूर्व जिला पंचायत सदस्य मंजीत सिंह और अन्य स्थानीय प्रतिनिधियों ने इस कदम को शरणार्थियों के बलिदान और संघर्ष का बहुप्रतीक्षित सम्मान बताया।
इन परिवारों को साल 1960 में सरकार द्वारा आवास और खेती के लिए भूमि आवंटित की गई थी लेकिन उन्हें कभी कानूनी स्वामित्व नहीं दिया गया। कानूनी अधिकारों के अभाव में वे सरकारी कल्याणकारी योजनाओं के लाभों से भी वंचित रहे।
हाल ही में मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में हुई एक बैठक में यह निर्णय लिया गया। सत्यापित शरणार्थी परिवारों को जल्द ही स्वामित्व के दस्तावेज मिलने शुरू हो जाएंगे।
आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार पीलीभीत जिले के 25 गांवों में रहने वाले 2,196 विस्थापित परिवारों में से 1,466 आवेदकों की सत्यापन रिपोर्ट राज्य सरकार को पहले ही भेज दी गई है।
कालीनगर और पूरनपुर तहसीलों के 25 से अधिक गांवों के शरणार्थियों को इस कदम से लाभ होगा। उल्लेखनीय गांवों में टाटरगंज, बामनपुर, बैला, सिद्ध नगर, शास्त्री नगर और नेहरू नगर शामिल हैं।
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