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Thursday, July 24, 2025

विपक्षी नेताओं ने जम्मू-कश्मीर का राज्य का दर्जा बहाल करने की मांग का समर्थन किया

Newsविपक्षी नेताओं ने जम्मू-कश्मीर का राज्य का दर्जा बहाल करने की मांग का समर्थन किया

नयी दिल्ली, 23 जुलाई (भाषा) विपक्षी नेताओं ने बुधवार को जम्मू-कश्मीर का राज्य का दर्जा बहाल करने की मांग का समर्थन किया।

कांग्रेस नेता नसीर हुसैन ने कहा कि वे संसद के मौजूदा मानसून सत्र में इस मुद्दे पर बहस चाहते हैं। उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ के सभी घटक दलों के बीच आम सहमति है।

‘द फोरम फॉर ह्यूमन राइट्स इन जम्मू एंड कश्मीर’ की ओर से आयोजित एक बैठक में हुसैन ने कहा कि ‘इंडिया’ के सभी घटक दल मानसून सत्र में (जम्मू-कश्मीर का) राज्य का दर्जा वापस दिए जाने का मुद्दा उठाना चाहते हैं।

उन्होंने कहा, “हम इस मुद्दे को संसद में उठाएंगे। ‘इंडिया’ के सभी घटक दलों में इस पर आम सहमति है।”

कांग्रेस नेता ने कहा कि संसद में अगले हफ्ते पहलगाम आतंकवादी हमले और ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर चर्चा होने की संभावना है, जिसके बाद बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) पर बहस होगी और फिर जम्मू-कश्मीर का राज्य का दर्जा बहाल करने के मुद्दे पर चर्चा हो सकती है।

वहीं, नेशनल कांफ्रेस (नेकां) प्रमुख फारूक अब्दुल्ला ने जम्मू-कश्मीर का राज्य का दर्जा खत्म किए जाने के फैसले को ‘अवैध’ करार दिया और इसकी बहाली का आग्रह किया।

उन्होंने कहा कि तत्कालीन राज्यपाल को इस कदम के समय कानून की समझ नहीं थी, जिसे उन्होंने एक साक्षात्कार में स्वीकार किया था।

अब्दुल्ला ने कहा, “…सत्ता में बैठे लोग चाहते हैं कि आप उनके सामने झुकें। हम यहां झुकने के लिए नहीं हैं। भारतीय होने के नाते यह हमारा अधिकार है। यह अधिकार (राज्य का दर्जा) भारत के संविधान द्वारा दिया गया है। आपने जो किया है, वह गैरकानूनी है। इसे बहाल करें। हमारा राज्य का दर्जा बहाल करें।”

जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा देने की मांग का समर्थन करते हुए भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी-लेनिनवादी) लिबरेशन के महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य ने आगाह किया कि यह “मॉडल” देश के अन्य हिस्सों में भी लागू किया जा सकता है।

उन्होंने कहा, “हमें लगता है कि कश्मीर एक मॉडल है, जिसे पूरे देश में लागू किया जाएगा। लोगों को अभी समझ नहीं आ रहा है, लेकिन अगर सीमांचल को अलग क्षेत्र बना दिया जाए तो क्या होगा? या उत्तर बंगाल? एक मॉडल पहले से ही मौजूद है। यह सिर्फ कश्मीर की बात नहीं, बल्कि पूरे भारत की बात है।”

भट्टाचार्य ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नीत केंद्र सरकार की विदेश नीति की भी आलोचना की और आश्चर्य जताया कि जब भारत ने गाजा पट्टी पर इजराइल के हमले की निंदा नहीं की, तो वह कैसे उम्मीद कर सकता है कि पहलगाम हमले की निंदा करने में दुनिया उसके साथ खड़ी होगी।

राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के सांसद मनोज झा ने कहा, “जम्मू-कश्मीर के साथ दिल्ली का हमेशा अलग व्यवहार रहा, क्योंकि दिल्ली का मनोवैज्ञानिक स्वरूप उत्तर भारत की राजनीति से प्रभावित है। संसद में संविधान के अनुच्छेद-370 को हटाने पर बहस बिहार और उत्तर प्रदेश के दर्शकों के लिए थी।”

उन्होंने कहा, “हमारे प्यारे टेलीविजन चैनलों ने यह कहने के लिए मेरी आलोचना की कि भारत में अपने फलस्तीन के लिए जगह मत बनाओ। मैं अब भी इस विचार पर कायम हूं कि अगर आप लोगों को उनका हक नहीं देते, तो आप उनकी नाराजगी दूर नहीं कर सकते।”

मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) नेता नीलोत्पल बसु ने कहा कि संविधान के लिए लड़ने की जरूरत है।

उन्होंने कहा, “हमें अपने देश में लोकतंत्र के लिए लड़ना होगा और लोकतंत्र के लिए यह लड़ाई जम्मू-कश्मीर के लिए एक अग्निपरीक्षा होगी। मैं नहीं मानता कि यह सिर्फ जम्मू-कश्मीर का सवाल है। यह वास्तव में हमारे देश के संविधान का सवाल है। यह हमारे देश के लोकतंत्र का सवाल है और अब हम हिंदुत्व की क्लासिक रणनीति देख रहे हैं।”

भाषा पारुल आशीष

आशीष

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