नयी दिल्ली, 24 जुलाई (भाषा) केंद्रीय गृह और सहकारिता मंत्री अमित शाह ने बृहस्पतिवार को सहकारिता क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए एक नई राष्ट्रीय नीति की घोषणा की। इस नीति का उद्देश्य हर गांव में अधिक पेशेवर रूप से प्रबंधित और वित्तीय रूप से स्वतंत्र सहकारी संगठन बनाना है।
सहकारी समितियों के लिए इसी तरह की नीति वर्ष 2002 में लाई गई थी। उस समय प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाला राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सत्ता में था। 23 साल बाद नई नीति लाई गई है।
‘राष्ट्रीय सहकारिता नीति – 2025’ का अनावरण करते हुए, शाह ने ज़ोर देकर कहा कि सहकारिताएं, कराधान सहित सभी पहलुओं में कॉरपोरेट क्षेत्र के बराबर हैं।
उन्होंने राज्यों से नई नीति को जल्द से जल्द लागू करने का आग्रह किया और इस बात पर ज़ोर दिया कि सहकारी क्षेत्र में भारत के लिए विकास लाने की क्षमता है। भारत 2047 तक विकसित राष्ट्र बनने का लक्ष्य लेकर चल रहा है।
उन्होंने कहा कि इस मिशन का उद्देश्य सहकारी संगठनों को पेशेवर, पारदर्शी, तकनीक से लैस और वित्तीय रूप से स्वतंत्र होने के साथ-साथ सफल भी बनाना है।
शाह ने कहा, ‘‘देश के हर गांव में कम से कम एक सहकारी संस्था स्थापित करने का लक्ष्य है।’’
इसके अलावा, कम से कम 50 करोड़ लोगों को सहकारिता के दायरे में लाने का लक्ष्य है।
मंत्री ने कहा, ‘‘यह नीति दूरदर्शी, व्यावहारिक और परिणामोन्मुखी है।’’
उन्होंने कहा कि नरेन्द्र मोदी सरकार ने वर्ष 2027 तक भारत को दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनाने का लक्ष्य रखा है। मुझे पूरा विश्वास है कि हम इस लक्ष्य को अवश्य प्राप्त करेंगे।’’
शाह ने कहा कि पिछले चार साल में सहकारिता मंत्रालय ने कई उपलब्धियां हासिल की हैं, लेकिन इसकी सबसे बड़ी उपलब्धि यह है कि आज देश की सबसे छोटी सहकारी इकाई का सदस्य भी गर्व से खड़ा है।
मंत्री ने विश्वास व्यक्त किया कि यह नवीनतम नीति वर्ष 2047 तक भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाने में सहायक होगी।
उन्होंने राज्य सरकारों से भी नई नीति को लागू करने का आग्रह किया।
शाह ने याद दिलाया कि केंद्र में भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार ने ही वर्ष 2002 में सहकारी क्षेत्रों के लिए पहली राष्ट्रीय नीति पेश की थी और अगली नीति भी प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व वाली सरकार द्वारा ही पेश की गई है।
यह नीति पूर्व केंद्रीय मंत्री सुरेश प्रभाकर प्रभु की अध्यक्षता वाली 48 सदस्यीय राष्ट्रीय स्तर की समिति द्वारा तैयार की गई है।
इस समिति को अंशधारकों से लगभग 750 सुझाव प्राप्त हुए और इसने भारतीय रिजर्व बैंक और नाबार्ड के साथ व्यापक विचार-विमर्श भी किया।
मंत्रालय ने पहले कहा था कि नई सहकारी नीति वर्ष 2025-45 तक यानी अगले दो दशक के लिए भारत के सहकारी आंदोलन में एक मील का पत्थर साबित होगी।
इसे सहकारी संस्थाओं को ‘‘वर्तमान आर्थिक परिदृश्य में अधिक सक्रिय और उपयोगी’’ बनाने और वर्ष 2047 तक एक विकसित राष्ट्र बनने के लक्ष्य को प्राप्त करने में इस क्षेत्र की भूमिका को बढ़ाने के लिए तैयार किया गया है।
यह नीति सहकारी संस्थाओं को रोजगार सृजन केंद्र बनाने का भी प्रयास करेगी।
भषा राजेश राजेश अजय
अजय