तिरुवनंतपुरम, 24 जुलाई (भाषा) केरल मंत्रिमंडल ने बृहस्पतिवार को पूर्व मुख्यमंत्री वी. एस. अच्युतानंदन के जीवन को ‘लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा के लिए अथक संघर्ष’ का प्रतीक बताया और कहा कि उनका निधन राज्य के राजनीतिक और लोकतांत्रिक आंदोलनों के लिए एक बड़ी क्षति है।
वरिष्ठ वामपंथी नेता अच्युतानंदन का 21 जुलाई को 101 वर्ष की आयु में तिरुवनंतपुरम में निधन हो गया था। अलप्पुझा जिले के वालिया चुडुकाडु में बुधवार देर शाम को उनका पूरे सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया था।
मुख्यमंत्री पिनराई विजयन की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल ने अच्युतानंदन के निधन पर गहरा दुख व्यक्त करते हुए कहा कि वह संघर्षों, असाधारण दृढ़ संकल्प और प्रतिरोध में अडिग रुख की शानदार विरासत के प्रतीक थे।
मत्रिमंडल ने कहा कि गरीबी में जन्मे अच्युतानंदन ने कुट्टनाड में एक खेतिहर मजदूर के रूप में जीवन शुरू किया, जहां उन्होंने मजदूरी और जाति-आधारित शोषण के खिलाफ श्रमिकों को संगठित किया।
इसने कहा कि अच्युतानंदन गांव-गांव घूमकर कृषि मजदूरों को एक साथ लाये और बेहतर वेतन, रोजगार सुरक्षा और भूमि सुधार के लिए अभियान चलाया।
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के संस्थापक सदस्य अच्युतानंदन श्रमिकों के अधिकारों, भूमि सुधारों और सामाजिक न्याय के जीवन भर पक्षधर रहे।
उन्होंने 2006 से 2011 तक केरल के मुख्यमंत्री के रूप में सेवांए दीं और राज्य विधानसभा के लिए सात बार चुने गए जिनमें से तीन बार वह विपक्ष के नेता रहे।
एक भावुक फेसबुक पोस्ट में अच्युतानंदन के बेटे वी ए अरुण कुमार ने भी अपनी गहरी संवेदना और कृतज्ञता व्यक्त की। साथ ही इस दर्दनाक एहसास को साझा किया कि अच्युतानंदन के बिना यह उनकी पहली सुबह थी।
उन्होंने लिखा, ‘‘मेरे पिता से जुड़े सैकड़ों लोग उन्हें बीमारी के दौरान देखना चाहते थे। लेकिन चिकित्सकों के सख्त निर्देशों के कारण, उनके अंतिम दिनों में किसी को भी उनसे मिलने की अनुमति नहीं दी जा सकी। मुझे पता है कि इससे कई लोगों को निराशा हुई होगी। मुझे अब भी आश्चर्य होता है कि क्या मैं उन लोगों के प्रति भी पर्याप्त गर्मजोशी से प्रतिक्रिया दे पाया था जो अस्पताल में अपना समर्थन देने आए थे।’’
भाषा धीरज देवेंद्र
देवेंद्र