नयी दिल्ली, 24 जुलाई (भाषा) जल शक्ति राज्य मंत्री वी सोमन्ना ने बृहस्पतिवार को संसद में कहा कि एक सरकारी सर्वेक्षण के अनुसार, लगभग 95.1 प्रतिशत ग्रामीण परिवारों के पास शौचालय की सुविधा है, जबकि 92.7 प्रतिशत के पास जैविक अपशिष्ट के निपटारे और 78.7 प्रतिशत के पास अशोधित जल के निपटान की व्यवस्था है।
मंत्री ने लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में, पेयजल और स्वच्छता विभाग द्वारा किये गए स्वच्छ सर्वेक्षण ग्रामीण 2023-24 के निष्कर्षों का हवाला दिया, जिसमें देश के 729 जिलों के 17,304 गांवों को शामिल किया गया था।
सर्वेक्षण में 2,60,059 परिवारों और 85,901 सार्वजनिक स्थानों जैसे स्कूल, आंगनवाड़ी, स्वास्थ्य केंद्र और बाजारों से लिए गए फीडबैक को शामिल किया गया।
कचरा पृथक्करण के संदर्भ में, केवल 39.9 प्रतिशत परिवारों ने ही कचरे को जैविक रूप से विघटित होने वाले और ठोस कचरा के रूप में अलग-अलग रखे जाने के बारे में बताया।
मंत्री ने अपने जवाब में सर्वेक्षण का हवाला देते हुए बताया कि ग्राम स्तर पर, 45 प्रतिशत गांवों के पास ठोस कचरा इकट्ठा करने और परिवहन के लिए विशेष या साझा वाहन हैं, और 29.4 प्रतिशत गांवों में भंडारण और पृथक्करण के लिए निर्धारित ढलाव घर (कूड़ा जमा करने का स्थान) हैं।
सर्वेक्षण में शामिल सार्वजनिक स्थानों में 76.7 प्रतिशत में शौचालयों की सुविधा है।
सर्वेक्षण का हवाला देते हुए मंत्री ने बताया कि शहरों से जुड़े 437 मल-जल शोधन संयंत्रों में से 83.8 प्रतिशत चालू हालत में हैं। वहीं, 1,029 प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन इकाइयों में से 61.4 प्रतिशत चालू हालत में हैं, जबकि 451 ‘गोबरधन’ और बायोगैस संयंत्रों में से 58.5 प्रतिशत चालू हालत में पाये गए।
भाषा सुभाष अविनाश
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