नयी दिल्ली, 25 जुलाई (भाषा) केंद्र सरकार ने वित्त वर्ष 2025-26 के लिए महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के तहत अकुशल श्रमिकों की मजदूरी दरों में औसतन पांच प्रतिशत की बढ़ोतरी की है। यह जानकारी शुक्रवार को संसद में दी गयी।
ग्रामीण विकास राज्यमंत्री कमलेश पासवान ने राज्यसभा को एक प्रश्न के लिखित उत्तर में यह जानकारी देते हुए बताया कि यह संशोधित दरें एक अप्रैल, 2025 से लागू कर दी गई हैं।
उन्होंने बताया कि ग्रामीण विकास और पंचायती राज संबंधी संसद की स्थायी समिति ने मनरेगा के तहत मजदूरी दरों में संशोधन की सिफारिश की थी।
पासवान ने बताया कि महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी अधिनियम, 2005 की धारा 6(1) के तहत केंद्र सरकार को अधिसूचना के माध्यम से अकुशल कार्य के लिए मजदूरी दर तय करने का अधिकार है। ग्रामीण विकास मंत्रालय हर वित्त वर्ष के लिए राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों की मनरेगा मजदूरी दर अधिसूचित करता है।
मंत्री ने कहा, “मजदूरों को महंगाई से राहत देने के उद्देश्य से यह दर हर वर्ष कृषि कामगारों के लिए उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई-एएल) में हुए बदलाव के आधार पर संशोधित की जाती है।”
उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि राज्य सरकारें चाहें तो केंद्र द्वारा अधिसूचित दर से अधिक मजदूरी अपने स्वयं के संसाधनों से दे सकती हैं।
अधिनियम के अन्य प्रावधानों का उल्लेख करते हुए मंत्री ने कहा कि मनरेगा का उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों के परिवारों को प्रत्येक वित्त वर्ष में कम से कम 100 दिन का गारंटीकृत अकुशल श्रम आधारित रोजगार प्रदान करना है।
इसके अतिरिक्त, अनुसूचित जनजाति के उन परिवारों को 50 अतिरिक्त दिनों का रोजगार देने का प्रावधान है जो वन अधिकार अधिनियम, 2006 के तहत प्राप्त भूमि के अलावा कोई अन्य निजी संपत्ति नहीं रखते।
मंत्री ने यह भी बताया कि सूखा या अन्य प्राकृतिक आपदा की स्थिति में अधिसूचित ग्रामीण क्षेत्रों के लिए भी एक वित्त वर्ष में अतिरिक्त 50 दिन का रोजगार देने की व्यवस्था है।
उन्होंने कहा, “धारा 3(4) के तहत राज्य सरकारें अपने संसाधनों से अधिनियम में निर्धारित अवधि से अधिक दिनों का रोजगार भी प्रदान कर सकती हैं।”
भाषा
मनीषा माधव
माधव