नयी दिल्ली, 25 जुलाई (भाषा) देश में 2019 से 2023 के बीच हाथियों के हमलों में 2,800 से अधिक लोगों की मौत हुई है तथा ओडिशा, झारखंड और पश्चिम बंगाल इस तरह की घटनाओं से सर्वाधिक प्रभावित राज्यों में शामिल हैं।
पर्यावरण राज्य मंत्री कीर्ति वर्धन सिंह ने शुक्रवार को राज्यसभा को माकपा सांसद जॉन ब्रिटास द्वारा पूछे गये प्रश्न के लिखित उत्तर में यह जानकारी दी।
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, वर्ष 2019-20 से 2023-24 के बीच कुल 2,869 लोगों की मौत हाथियों के हमलों में हुई।
इस दौरान ओडिशा में सबसे अधिक 624, झारखंड में 474, पश्चिम बंगाल में 436, असम में 383 और छत्तीसगढ़ में 303 लोगों की मौत हाथियों के हमलों में हुई।
वार्षिक आंकड़ों के अनुसार, हाथियों के हमलों से होने वाली मौतों में लगातार वृद्धि देखी गई है । हाथियों के हमलों में जान गंवाने वालों की संख्या 2019-20 में 595 से बढ़कर 2023-24 में 629 हो गई। तमिलनाडु और कर्नाटक में पांच वर्षों के दौरान क्रमशः 256 और 160 लोगों की मौत हुई।
इसके विपरीत, बाघों के हमलों में 2020 से 2024 के बीच कुल 378 लोगों की मौत हुई। इनमें महाराष्ट्र में सबसे अधिक 218 मौतें, उत्तर प्रदेश में 61 और मध्य प्रदेश में 32 मौतें दर्ज की गईं।
साल 2022 में बाघों के हमलों से 110 लोगों की मौत हुई, जिनमें से 82 महाराष्ट्र से थीं। यह आंकड़ा 2023 में घटकर 85 और 2024 में 73 हो गया।
मंत्री ने यह भी बताया कि वन्यजीवों द्वारा फसलों और पशुधन को हुए नुकसान का राष्ट्रीय स्तर पर कोई केंद्रीकृत आंकड़ा पर्यावरण मंत्रालय नहीं रखता है।
वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 की धारा 62 के तहत किसी जानवर को ‘हानिकारक’ (वर्मिन) घोषित किए जाने संबंधी प्रश्न के उत्तर में सिंह ने कहा कि 23 अप्रैल 2020 को जारी एक राजपत्र अधिसूचना के माध्यम से हिमाचल प्रदेश में रिसस मकाक बंदरों को एक वर्ष के लिए ‘वर्मिन’ घोषित किया गया था।
यह पूछे जाने पर कि क्या केंद्र सरकार राज्यों को अपने अधिकार क्षेत्र में किसी जानवर को ‘वर्मिन’ घोषित करने का अधिकार देने के लिए अधिनियम में संशोधन पर विचार कर रही है, मंत्री ने कहा, ‘‘वर्तमान में वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 में संशोधन का कोई प्रस्ताव विचाराधीन नहीं है।’’
उन्होंने यह भी बताया कि 2022 में हुए संशोधन के अनुसार, अधिनियम की धारा 11 के तहत राज्य के मुख्य वन्यजीव वार्डन को मानव-वन्यजीव संघर्ष की स्थिति से निपटने का अधिकार प्रदान किया गया है।
भाषा मनीषा माधव
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