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नयी दिल्ली, 25 जुलाई (भाषा) संसद में विपक्ष द्वारा बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) सहित विभिन्न मुद्दों पर हंगामे के कारण मानसून सत्र के पहले दिन से जारी गतिरोध शुक्रवार को भी समाप्त नहीं हुआ, हालांकि लोकसभा एवं राज्यसभा की कार्य मंत्रणा समिति (बीएसी) में बनी सहमति के अनुसार अगले सप्ताह से दोनों सदनों में कामकाज होने की संभावना है।
शुक्रवार को विपक्ष के हंगामे के कारण लोकसभा की कार्यवाही एक बार के स्थगन के बाद दोपहर दो बजे के उपरांत और राज्यसभा की बैठक एक बार के स्थगन के बाद दोपहर बारह बजे के पश्चात पूरे दिन के लिए स्थगित कर दी गयी। हंगामे के कारण दोनों सदनों में शून्यकाल और प्रश्नकाल नहीं चल सके।
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला के साथ सत्ता पक्ष और विपक्ष के प्रतिनिधियों की शुक्रवार को हुई बैठक में फैसला किया गया कि सदन में गतिरोध खत्म करके अगले सोमवार से कार्यवाही नियमित रूप से संचालित की जाएगी।
निचले सदन में कांग्रेस के मुख्य सचेतक कोडिकुनिल सुरेश ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि अगले सोमवार से सदन में पहलगाम आतंकी हमले और ऑपरेशन सिंदूर पर विशेष चर्चा होगी।
राज्यसभा की बीएसी बैठक में पहले ही यह तय हो चुका है कि अगले सप्ताह उच्च सदन में पहलगाम आतंकी हमले और ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा होगी।
लोकसभा में आज पूर्वाह्न 11 बजे जैसे ही अध्यक्ष ओम बिरला ने प्रश्नकाल शुरू कराया, विपक्षी दलों के सदस्य ‘एसआईआर वापस लो’ के नारे लगाने लगे।
बिरला ने हंगामा कर रहे सदस्यों के तख्तियां दिखाने और नारेबाजी करने पर निराशा जताते हुए कहा, ‘‘मैं पिछले कुछ दिन से देख रहा हूं कि सदन को नियोजित तरीके से बाधित किया जा रहा है। असहमति जताने का यह तरीका सही नहीं है।’’
उन्होंने सदस्यों से प्रश्नकाल चलने देने का आग्रह करते हुए कहा कि यह सदस्यों का समय होता है जिसमें वे प्रश्न पूछते हैं और सरकार की जवाबदेही तय करते हैं। बिरला ने कहा कि विपक्ष को गतिरोध समाप्त करना चाहिए।
इस बीच, उन्होंने विदेश राज्य मंत्री कीर्तिवर्धन सिंह को पूरक प्रश्न का उत्तर देने को कहा, लेकिन हंगामा नहीं थमने पर उन्होंने सदन की कार्यवाही 11 बजकर पांच मिनट पर दोपहर दो बजे तक के लिए स्थगित कर दी।
सदन की कार्यवाही एक बार के स्थगन के बाद, अपराह्न दो बजे फिर शुरू होने पर विपक्षी दलों के सदस्यों ने सदन में नारेबाजी करना जारी रखा। वे अपने स्थान पर खड़े होकर ‘एसआईआर वापस लो’, ‘एसआईआर पर चर्चा करो’ नारे लगा रहे थे।
पीठासीन सभापति जगदंबिका पाल ने नारेबाजी कर रहे विपक्षी दलों के सदस्यों से सदन का कामकाज सुचारू रूप से चलने देने का आग्रह करते हुए कहा, ‘‘आप स्वयं यह समीक्षा करें कि यह हंगामा किसके हित में है, इसका लाभ किसे मिलेगा? जिन्होंने आपको चुन कर भेजा है, क्या उन्हें इसका लाभ मिलेगा?’’
इस बीच, पीठासीन सभापति ने कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल को गोवा से संबंधित एक विधेयक चर्चा करने के लिए रखने को कहा।
मेघवाल ने ‘गोवा राज्य विधानसभा के निर्वाचन क्षेत्रों में अनुसूचित जनजातियों के प्रतिनिधित्व का समायोजन विधेयक, 2024’ का उल्लेख करते हुए कहा कि इस पर चर्चा कराई जाए और वह जवाब देने के लिए तैयार हैं।
मेघवाल ने विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा, ‘‘वे अनुसूचित जनजाति के विषय पर चर्चा ही नहीं करना चाहते।’’
विपक्षी दलों के सदस्यों का हंगामा नहीं थमने पर पीठासीन सभापति ने सदन की कार्यवाही पूरे दिन के लिए स्थगित कर दी।
राज्यसभा में पूर्वाह्न 11 बजे बैठक शुरू होने पर, अभिनय की दुनिया से राजनीति में आए कमल हासन तथा द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक) की राजाथी, एस आर शिवलिंगम और पी विल्सन को राज्यसभा की सदस्यता की शपथ दिलाई गई।
इसके बाद उपसभापति हरिवंश ने बताया कि उन्हें नियम 267 के तहत 28 स्थगन प्रस्ताव प्राप्त हुए हैं। उन्होंने कहा कि पूर्व की व्यवस्था के आलोक में ये नोटिस उपयुक्त नहीं पाए गए और इन्हें अस्वीकार कर दिया गया। इस पर विपक्षी सदस्यों ने विरोध जताया और अपने-अपने मुद्दों पर चर्चा की मांग करते हुए हंगामा करने लगे।
हंगामा थमते न देख उप सभापति ने 11 बजकर 20 मिनट पर बैठक को दोपहर बारह बजे तक स्थगित कर दिया।
एक बार के स्थगन के बाद दोपहर 12 बजे जब सदन की कार्यवाही फिर शुरू हुई, तो पीठासीन अध्यक्ष घनश्याम तिवाड़ी ने प्रश्नकाल के तहत भाजपा सांसद के. लक्ष्मण से प्रश्न पूछने को कहा।
लक्ष्मण ने ‘विकसित कृषि संकल्प अभियान’ पर अपना पूरक प्रश्न पूछा।
इस बीच विपक्षी सदस्यों ने एसआईआर सहित विभिन्न मुद्दों पर तत्काल चर्चा की मांग करते हुए हंगामा शुरू कर दिया।
लक्ष्मण के पूरक प्रश्न का जवाब देने के लिए खड़े हुए कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि यह मुद्दा किसानों और महिलाओं के कल्याण से जुड़ा है, और वह इसका उत्तर देना चाहते हैं।
पीठासीन अध्यक्ष तिवाड़ी ने हंगामा कर रहे सदस्यों से शांत होने की अपील की, लेकिन सदन में व्यवस्था न बनते देख उन्होंने कार्यवाही दिनभर के लिए स्थगित कर दी।
मानसून सत्र के पहले ही दिन सोमवार देर शाम को एक अप्रत्याशित घटनाक्रम में राज्यसभा के सभापति एवं उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने अपना इस्तीफा राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को सौंप दिया था।
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