नयी दिल्ली, 25 जुलाई (भाषा) केंद्र सरकार ने शुक्रवार को कहा कि फलस्तीन के प्रति लंबे समय से चली आ रही अपनी नीति और मौजूदा स्थिति को देखते हुए भारत ने गत 12 जून को संयुक्त राष्ट्र महासभा के आपातकालीन विशेष सत्र के हालिया संकल्प पर मतदान में भाग नहीं लिया।
विदेश राज्य मंत्री कीर्तिवर्धन सिंह ने लोकसभा में सुब्बारायण के. और सेल्वाराज वी. के प्रश्न के लिखित उत्तर में यह बात कही।
सदस्यों ने पूछा था कि क्या यह सच है कि भारत ने संयुक्त राष्ट्र महासभा के उस संकल्प पर मतदान नहीं किया जिसमें गाजा में तत्काल और स्थायी युद्धविराम की मांग की गई है।
उन्होंने अपने प्रश्न में फलस्तीन के मुद्दे पर सरकार का रुख पूछा था।
जवाब में कहा गया, ‘‘फलस्तीन के प्रति भारत की नीति लंबे समय से चली आ रही है। भारत ने हमेशा वार्ता के माध्यम से द्विराष्ट्र समाधान का समर्थन किया है ताकि सुरक्षित और मान्यता प्राप्त सीमाओं के भीतर एक संप्रभु, स्वतंत्र और व्यवहार्य फलस्तीन राष्ट्र की स्थापना हो, जो इजराइल के साथ शांतिपूर्वक रह सके।’’
उन्होंने कहा कि भारत ने 7 अक्टूबर 2023 को इजराइल पर हुए आतंकी हमलों और इजराइल-हमास के बीच मौजूदा संघर्ष में नागरिकों की जान जाने की कड़ी निंदा की है।
कीर्तिवर्धन सिंह ने कहा कि भारत वहां की सुरक्षा स्थिति को लेकर चिंतित है और उसने युद्धविराम, सभी बंधकों की रिहाई और बातचीत व कूटनीति के माध्यम से संघर्ष के शांतिपूर्ण समाधान का आह्वान किया है।
उन्होंने कहा कि भारत ने फलस्तीन के लोगों को सुरक्षित, समयबद्ध और सतत मानवीय सहायता की आपूर्ति की आवश्यकता पर बल दिया है।
विदेश राज्य मंत्री ने कहा कि भारत ने यह भी दोहराया है कि इजराइल और फलस्तीन के एक दूसरे के समीप आने से सीधी शांति वार्ता की शीघ्र बहाली के लिए परिस्थितियां तैयार करने में मदद मिलेगी।
उन्होंने कहा कि भारत ने उपर्युक्त नीति और स्थिति के अनुरूप 12 जून 2025 को संयुक्त राष्ट्र महासभा के आपातकालीन विशेष सत्र के हालिया संकल्प पर मतदान में भाग नहीं लिया।
भाषा
वैभव नरेश
नरेश