नयी दिल्ली, 25 जुलाई (भाषा) विपक्षी दलों ने लोकसभा में सोमवार को और राज्यसभा में उसके अगले दिन पहलगाम आतंकी हमले तथा ऑपरेशन सिंदूर पर विशेष चर्चा पर सहमति जताई है जिससे संसद में सामान्य स्थिति बहाल होने की संभावना बढ़ गई है। संसद के मानसून सत्र का पहला हफ्ता विभिन्न मुद्दों पर विपक्षी सदस्यों के हंगामे के कारण लगातार बाधित रहा।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, गृह मंत्री अमित शाह और विदेश मंत्री एस. जयशंकर के चर्चा में शामिल होने की उम्मीद है तथा ऐसे संकेत हैं कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी इस बहुप्रतीक्षित बहस का इस्तेमाल विपक्ष पर निशाना साधने के लिए कर सकते हैं।
उल्लेखनीय है कि विपक्ष कथित खुफिया विफलताओं और भारत एवं पाकिस्तान के बीच संघर्षविराम के लिए मध्यस्थता करने के अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के दावों को लेकर सरकार को घेरने की कोशिश कर रहा है।
संसदीय कार्य मंत्री किरेन रीजीजू ने शुक्रवार को मानसून सत्र के पहले हफ़्ते में दोनों सदनों में हुए व्यवधान के लिए विपक्ष को ज़िम्मेदार ठहराया और आरोप लगाया कि सरकार सत्र की शुरुआत से ही इन मुद्दों पर चर्चा की मांग पर सहमत थी लेकिन उसके बावजूद विपक्ष ने संसद को नहीं चलने दिया।
बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) पर संसद में चर्चा कराने की विपक्ष की मांग के बारे में पूछे जाने पर रीजीजू ने कहा कि सभी मुद्दों पर एक साथ विचार नहीं किया जा सकता और सरकार अन्य मुद्दों पर धीरे-धीरे फैसला करेगी।
उन्होंने कहा कि संसद में चर्चा के लिए नियमों का पालन करना होगा।
सूत्रों ने बताया कि सरकारी हलकों में मतदाता सूची पुनरीक्षण प्रक्रिया को निर्वाचन आयोग के कार्य के रूप में देखा जा रहा है, इसलिए इस विवादास्पद मुद्दे पर चर्चा की संभावना कम है। विपक्ष का आरोप है कि इस अभियान का उद्देश्य भाजपा नीत गठबंधन को मदद पहुंचाना है, जो चुनावी राज्य बिहार में भी सत्ता में है।
रीजीजू ने कहा कि ‘‘पहलगाम में आतंकवादी हमले और उसके जवाब में भारतीय सशस्त्र बलों द्वारा किए गए ऑपरेशन सिंदूर’’ पर विशेष चर्चा शुरू करने के निर्णय पर शुक्रवार को लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला की अध्यक्षता में विभिन्न दलों के नेताओं की एक बैठक में सहमति बनी।
संविधान को स्वीकार किए जाने के 75वें वर्ष के उपलक्ष्य में चर्चा सहित अतीत में विभिन्न विषयों पर कभी-कभार होने वाली विशेष चर्चा सदन के किसी विशेष नियम द्वारा निर्देशित नहीं होती हैं।
सत्ता पक्ष की ओर से, वक्ताओं में उन सात सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडलों के सदस्यों के शामिल होने की संभावना है जो आतंकवाद के विरुद्ध भारत के दृढ़ रुख और उसे बढ़ावा देने में पाकिस्तान की भूमिका से अवगत कराने के लिए दुनिया की 30 से ज़्यादा राजधानियों की यात्रा कर चुके हैं।
दोनों सदनों में इन दोनों मुद्दों पर 16-16 घंटे की चर्चा होगी।
पाकिस्तान से जुड़े आतंकवादियों ने 22 अप्रैल को लोकप्रिय हिल स्टेशन पहलगाम में 26 नागरिकों की गोली मारकर हत्या कर दी थी और भारत ने जवाबी कार्रवाई में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर और पाकिस्तान स्थित आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया। उसके बाद दोनों देशों के बीच चार दिनों तक संघर्ष चला।
भारत ने कहा कि सैन्य कार्रवाई रोकने का फैसला दोनों देशों के बीच आपसी सहमति से लिया गया था, लेकिन मध्यस्थता कराने के अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के दावों ने विपक्ष को सरकार पर निशाना साधने का मौक़ा दे दिया है।
विपक्ष ने आतंकी हमले के पीछे कथित खुफिया चूक का भी मुद्दा उठाया है और सरकार पर सवाल उठाने के लिए भारत द्वारा अपने कुछ लड़ाकू विमान खोने की कुछ खबरों का हवाला दिया है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की सराहना करते हुए इसे एक अभूतपूर्व कामयाबी बताते हुए कह चुके हैं कि सशस्त्र बलों ने अपने 100 प्रतिशत लक्ष्य हासिल किए और ‘मेड इन इंडिया’ हथियारों ने संघर्ष के दौरान अपनी क्षमता साबित की।
यह पूछे जाने पर कि क्या मोदी चर्चा के दौरान संसद में बोलेंगे, जो विपक्ष की एक और प्रमुख मांग है, रीजीजू ने कहा कि सरकार विपक्षी दलों के वक्ताओं का फैसला नहीं कर सकती, उसी प्रकार विपक्ष, सत्ता पक्ष के वक्ताओं का फैसला नहीं कर सकता।
उन्होंने उम्मीद जताई कि विपक्ष अगले सप्ताह से संसद को चलने देगा। उन्होंने प्रश्नकाल के दौरान सांसदों द्वारा पूछे जाने वाले प्रश्नों के उत्तर तैयार करने में लगाए गए संसाधनों और प्रयासों की बर्बादी पर दुख जताया।
विरोध प्रदर्शनों के कारण मानसून सत्र के पहले सप्ताह में प्रश्नकाल नहीं हो पाया था।
भाषा अविनाश नरेश
नरेश