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Saturday, July 26, 2025

विदेशों में गिरावट के कारण तेल-तिलहन कीमतें नरम

Newsविदेशों में गिरावट के कारण तेल-तिलहन कीमतें नरम

नयी दिल्ली, 25 जुलाई (भाषा) विदेशी बाजारों में गिरावट के बीच घरेलू बाजार में शुक्रवार को अधिकांश तेल-तिलहनों के दाम में गिरावट देखने को मिली। सरसों तेल-तिलहन, सोयाबीन तेल, कच्चा पामतेल (सीपीओ) एवं पामोलीन तथा बिनौला तेल के भाव नरमी दर्शाते बंद हुए। दूसरी ओर मूंगफली तेल-तिलहन और सोयाबीन तिलहन के भाव स्थिर बने रहे।

दोपहर 3.30 बजे मलेशिया में 1.25 प्रतिशत की भारी गिरावट थी। इसके अलावा शिकॉगो एक्सचेंज में भी गिरावट देखी गई।

बाजार सूत्रों ने कहा कि बंदरगाहों पर आयातकों द्वारा लागत से लगभग पांच प्रतिशत नीचे दाम पर सोयाबीन डीगम तेल की बिक्री करने की वजह से सभी तेल-तिलहन कीमतों पर दबाव है जो बाजार में आई गिरावट का मुख्य कारण है। इसके अलावा रूस ने भी अपना निर्यात बढ़ाने के लिए सूरजमुखी तेल के निर्यात पर लगने वाले निर्यात शुल्क को शून्य कर दिया है। इस कदम का असर कुछ दिनों में दिखेगा लेकिन फिलहाल इस कदम से भी तेल-तिलहन कीमतों में नरमी है।

उन्होंने कहा कि यह आश्चर्य की बात है कि जो देश अपनी लगभग 60 प्रतिशत जरुरत को पूरा करने के लिए खाद्यतेलों के आयात पर निर्भर करता है, वहां आयात की लागत से लगभग पांच प्रतिशत नीचे दाम पर आयात होने वाला सोयाबीन डीगम तेल बिके। इससे बैंकों को नुकसान तो है ही, इससे घरेलू तेल-तिलहन उद्योग पर भी प्रतिकूल असर पड़ रहा है।

सूत्रों ने कहा कि सरकार को बाजार की इन स्थितियों पर बारीक नजर रखनी होगी नहीं तो देश के तेल-तिलहन उद्योग को बचाना मुश्किल होगा। आयातक बैंकों में अपना साख पत्र चलाते रहने के लिए अपने बही खाते में कभी फायदा कभी यथास्थिति जताने से नहीं चूकते। तेल संगठनों को भी आगे आकर इन सब परस्थितियों के बारे में सरकार को समुचित सुझाव देना चाहिये।

सूत्रों ने कहा कि सरकार ने सहकारी संस्थाओं से सरसों की लंबे समय तक बिक्री जारी रखने को कहा है। हमें घरेलू बाजार की दीर्घकालिक मांग को ध्यान में रखते हुए संभलकर सरसों बेचना चाहिये। इन परिस्थितियों में सरसों तेल-तिलहन में गिरावट आई।

विदेशों में कमजोर रुख और डीगम तेल की लागत से कम दाम पर बिकवाली होने से सोयाबीन तेल में गिरावट आई। वहीं ऊंचे लागत वाले सोयाबीन डी-आयल्ड केक (डीओसी) की मांग कमजोर रहने के बीच सोयाबीन तिलहन के दाम स्थिर बने रहे।

मलेशिया एक्सचेंज के दोपहर 3.30 बजे काफी कमजोर बंद होने से सीपीओ और पामोलीन के दाम भी गिरावट के साथ बंद हुए।

सूत्रों ने कहा कि मूंगफली के हाजिर दाम पहले ही न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से 15-20 प्रतिशत नीचे है। किसान इससे और नीचे दाम पर बेचना नहीं चाहते। इस स्थिति में सोयाबीन तिलहन की ही तरह मूंगफली तेल-तिलहन के दाम स्थिर रहे।

तेल-तिलहनों के भाव इस प्रकार रहे:

सरसों तिलहन – 7,350-7,400 रुपये प्रति क्विंटल।

मूंगफली – 5,800-6,175 रुपये प्रति क्विंटल।

मूंगफली तेल मिल डिलिवरी (गुजरात) – 13,850 रुपये प्रति क्विंटल।

मूंगफली रिफाइंड तेल – 2,260-2,560 रुपये प्रति टिन।

सरसों तेल दादरी- 16,250 रुपये प्रति क्विंटल।

सरसों पक्की घानी- 2,670-2,770 रुपये प्रति टिन।

सरसों कच्ची घानी- 2,670-2,805 रुपये प्रति टिन।

सोयाबीन तेल मिल डिलिवरी दिल्ली- 13,100 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन मिल डिलिवरी इंदौर- 12,700 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन तेल डीगम, कांडला- 10,050 रुपये प्रति क्विंटल।

सीपीओ एक्स-कांडला- 11,120 रुपये प्रति क्विंटल।

बिनौला मिल डिलिवरी (हरियाणा)- 13,200 रुपये प्रति क्विंटल।

पामोलिन आरबीडी, दिल्ली- 12,850 रुपये प्रति क्विंटल।

पामोलिन एक्स- कांडला- 11,750 रुपये (बिना जीएसटी के) प्रति क्विंटल।

सोयाबीन दाना – 4,550-4,600 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन लूज- 4,250-4,350 रुपये प्रति क्विंटल।

भाषा राजेश राजेश रमण

रमण

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