जबलपुर, 25 जुलाई (भाषा) मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय ने अपने एक आदेश में राज्य के न्यायिक ढांचे में परिलक्षित ‘जाति व्यवस्था’ और ‘सामंती मानसिकता’ की निंदा की है, जहां उच्च न्यायालय में न्यायाधीशों को ‘सवर्ण’ या विशेषाधिकार प्राप्त माना जाता है जबकि जिला न्यायाधीशों को ‘शूद्र’ माना जाता है।
इसमें उच्च न्यायालय और जिला न्यायालयों के न्यायाधीशों के बीच के रिश्ते की तुलना ‘‘सामंती आका और भूदास’’ से की गई है, तथा कहा गया कि भय और हीनता की भावना एक द्वारा दूसरे के अवचेतन में जानबूझकर डाली जाती है।
उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति अतुल श्रीधरन और न्यायमूर्ति डी के पालीवाली की खंडपीठ ने 14 जुलाई को न्यायाधीश से संबंधित मामले की सुनवाई के दौरान यह तीखी टिप्पणी की ।
भाषा शोभना रंजन
रंजन