कोलकाता, 26 जुलाई (भाषा) न्यूयॉर्क स्थित अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठन ‘ह्यूमन राइट्स वॉच (एचआरडब्ल्यू)’ की एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने शनिवार को भारत से बांग्ला भाषी मुसलमानों को बिना उचित प्रक्रिया के कथित तौर पर निर्वासित करने की कड़ी आलोचना की और इसे देश के लिए ‘शर्मनाक’ बताया।
बनर्जी ने ‘एक्स’पर पोस्ट किया, ‘‘अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिष्ठित और न्यूयॉर्क स्थित बहु-देशीय गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) ह्यूमन राइट्स वॉच (एचआरडब्ल्यू) ने भी अब विभिन्न राज्यों में भाजपा सरकारों द्वारा भारत के बांग्ला भाषी लोगों के उत्पीड़न और अवैध निर्वासन के मुद्दे को उजागर किया है।’’
मुख्यमंत्री ने कहा,‘‘मानवाधिकार संगठन ने एक रिपोर्ट जारी की है जिसमें वही कहा गया है जो हम कहते रहे हैं: बांग्ला भाषी भारतीयों (विभिन्न जातियों और समुदायों के) को भाजपा द्वारा मनमाने ढंग से प्रताड़ित किया जा रहा है और सुनियोजित तरीके से बाहर निकाला जा रहा है।’’
यह रिपोर्ट 23 जुलाई को न्यूयॉर्क में प्रकाशित हुई थी।
एचआरडब्ल्यू एशिया की निदेशक एलेन पियर्सन का हवाला देते हुए, बनर्जी ने कहा कि संगठन ने आरोप लगाया है कि भाजपा बांग्ला भाषी लोगों को मनमाने ढंग से देश से निकालकर भेदभाव को बढ़ावा दे रही है जबकि उनमें से कई भारतीय नागरिक हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘भाजपा भारतीय नागरिकों समेत बंगालियों को मनमाने ढंग से देश से निकालकर भेदभाव को बढ़ावा दे रही है। अधिकारियों का यह दावा कि वे अनियमित प्रवासन का प्रबंधन कर रहे हैं, अविश्वसनीय है।’’
उन्होंने दावा किया कि एचआरडब्ल्यू की रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत सरकार के गृह मंत्रालय के निर्देश के बाद, भाजपा शासित राज्यों असम, गुजरात, महाराष्ट्र, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, ओडिशा और दिल्ली में इस तरह के निर्वासन व्यवस्थित रूप से हो रहे हैं।
बनर्जी ने कहा, ‘‘शर्म की बात है। अब, अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठनों ने भी भारत में फैले भाषाई आतंकवाद पर ध्यान देना शुरू कर दिया है। इसे तुरंत रोकना होगा।’’
एचआरडब्ल्यू ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया है कि सैकड़ों मुसलमानों को अवैध रूप से पड़ोसी देश बांग्लादेश भेज दिया गया तथा यहां तक कि कई भारतीय नागरिकों को भी बिना उचित प्रक्रिया के बाहर निकाल दिया गया।
एचआरडब्ल्यू की रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘भारत सरकार ने निष्कासित लोगों की संख्या पर कोई आधिकारिक आंकड़ा उपलब्ध नहीं कराया है, लेकिन बॉर्डर गार्ड बांग्लादेश ने बताया है कि भारत ने सात मई से 15 जून तक 1,500 से ज़्यादा मुस्लिम पुरुषों, महिलाओं और बच्चों को बांग्लादेश भेजा है, जिनमें म्यांमार से आए लगभग 100 रोहिंग्या शरणार्थी भी शामिल हैं। निष्कासन अब भी जारी है।’’
भाषा राजकुमार संतोष
संतोष