श्रीनगर, 27 जुलाई (भाषा) जम्मू-कश्मीर की शीर्ष खिलाड़ियों में शामिल बिलकिस मीर का मानना है कि बर्फ से ढकी ढलानें, ग्लेशियर से निकलने वाली नदियां और खिलाड़ियों की नयी पीढ़ी को देखते हुए शीतकालीन खेलों और जलक्रीड़ा में राज्य के खिलाड़ियों के पास देश के लिए ओलंपिक पदक जीतने की क्षमता है।
पेरिस ओलंपिक (2024) में जूरी सदस्य के रूप में देश का प्रतिनिधित्व करने वाली पहली भारतीय महिला मीर ने कहा कि वह जम्मू-कश्मीर और देश को पोडियम के शीर्ष स्थान पर देखना चाहती हैं और इस दिशा में अपने प्रयास जारी रखेंगी।
श्रीनगर की इस 38 साल की खिलाड़ी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की खिलाड़ियों के साथ नियमित बातचीत की प्रशंसा की और कहा कि यह एक खिलाड़ी के लिए बड़ा क्षण है और खेल संस्कृति बनाने की दिशा में एक कदम है।
जल क्रीड़ा खिलाड़ी मीर ने ‘पीटीआई वीडियो’ को दिये साक्षात्कार में कहा, ‘‘मेरा सपना है कि जम्मू-कश्मीर और देश को वैश्विक मंच पर शीर्ष स्थान पर देखूं। जम्मू-कश्मीर में ओलंपिक में जलक्रीड़ा और शीतकालीन खेलों में भारत का सफलतापूर्वक नेतृत्व करने की क्षमता है क्योंकि हमारे पास प्राकृतिक संसाधन होने के साथ-साथ आवश्यक प्रतिभा भी है जिसे बस निखारने की आवश्यकता है।’’
कयाकिंग और कैनोइंग की प्रसिद्ध खिलाड़ी रही मीर ने कहा कि उन्होंने उत्तराखंड, मध्य प्रदेश, मणिपुर और देश के भीतर तथा बाहर कई अन्य जगहों पर युवा खिलाड़ियों को प्रशिक्षित किया है लेकिन ‘हमारे बच्चों (जम्मू-कश्मीर के खिलाड़ी) में एशियाई खेल और ओलंपिक में जाने की बहुत क्षमता है और मुझे लगता है कि उनका भविष्य उज्ज्वल है।’
उन्होंने कहा कि सरकार को प्रमुख खिलाड़ियों और उपलब्धि हासिल करने वालों के साथ जुड़ना चाहिए क्योंकि उनके पास अपने खेलों में विशेषज्ञता है और वे भविष्य के लिए एक खाका बनाने में सहायता कर सकते हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘मुझे उम्मीद है कि एक बिलकिस मीर की बजाय, यहां से हजारों लड़कियां निकलेंगी और जम्मू-कश्मीर तथा देश को गर्व महसूस कराएंगी।’’
मीर हाल ही में तब सुर्खियों में थीं जब उन्होंने भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो द्वारा दायर एक एफआईआर को रद्द करवाने के लिए अपनी तीन साल की कानूनी लड़ाई जीती। जम्मू और कश्मीर उच्च न्यायालय ने अधिकारियों की कड़ी निंदा करते हुए कहा था कि ‘ऐसा लगता है कि सत्ता में बैठे लोग ऐसे प्रतिभाशाली लोगों को परेशान करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं।’
मीर के 28 साल के शानदार करियर का आगाज आठ साल की उम्र में ही शुरू हो गया था। उनकी उपलब्धियों में हंगरी में 2009 कैनोइंग और कयाकिंग विश्व कप में भारत का प्रतिनिधित्व कर आठवां स्थान हासिल करना है।
उन्हें कैनोइंग और कयाकिंग से जुड़ी भारत की आयु वर्ग से लेकर सीनियर टीम तक को कोचिंग देने का अनुभव है।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री खेल को उचित महत्व दे रहे हैं, जिससे देश में एक खेल-अनुकूल माहौल बनाने में मदद मिल रही है।
मीर ने कहा, ‘‘खिलाड़ी चाहे हारे या जीते, प्रधानमंत्री उनसे बातचीत करते हैं। यह एक खिलाड़ी के लिए बहुत बड़ा क्षण है।’’
उन्होंने अपने शुरुआती दिनों को याद करते हुए कहा उस समय खेल उपकरण होना भी एक सपना था लेकिन अब सरकार खिलाड़ियों की काफी मदद कर रही है।
उन्होंने कहा, ‘‘ मैं जब 1990 के दशक में खेल में आई, तो मेरा संघर्ष मेरे घर के दरवाजे से ही शुरू हो गया था। जब मैंने ट्रैकसूट पहना तो आस-पास के लोग उसे गलत नजरिए से देखते थे और उनकी राय थी कि मेरी वजह से अन्य लड़कियों पर बुरा असर पड़ेगा। ’’
भाषा आनन्द नमिता
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