नयी दिल्ली, 27 जुलाई (भाषा) रिलायंस समूह की कंपनियों रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर (आरइंफ्रा) और रिलायंस पावर (आरपावर) ने रविवार को कहा कि प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने उनके विभिन्न परिसर में तलाशी का काम पूरा कर लिया है और कंपनियां संघीय जांच एजेंसी के साथ सहयोग करना जारी रखेंगी।
आरपावर ने स्टॉक एक्सचेंज में दायर अपनी नवीनतम रिपोर्ट में कहा, ‘‘ईडी की कार्रवाई सभी जगहों पर पूरी हो गई है। कंपनी और उसके सभी अधिकारियों ने जांच एजेंसी के साथ पूरा सहयोग किया है और आगे भी सहयोग करते रहेंगे।’’
आरइंफ्रा और आरपावर, दोनों की ओर से जारी दो अलग-अलग बयानों में कहा गया है कि कंपनी सामान्य रूप से काम कर रही है और उक्त कार्रवाई का उसके व्यावसायिक संचालन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा है।
आधिकारिक सूत्रों के अनुसार, शनिवार को ईडी ने मुंबई में रिलायंस समूह के अध्यक्ष अनिल अंबानी की कंपनियों के खिलाफ तीसरे दिन भी छापेमारी की और कई जगहों से विभिन्न दस्तावेज़ और कंप्यूटर उपकरण बरामद किए।
संघीय जांच एजेंसी ने 24 जुलाई को कथित तौर पर 3,000 करोड़ रुपये के बैंक ऋण धोखाधड़ी से जुड़े धन शोधन मामले के अलावा कुछ कंपनियों द्वारा करोड़ों रुपये की वित्तीय अनियमितताओं के कई अन्य आरोपों के तहत छापेमारी की थी।
दोनों कंपनियों ने स्टॉक एक्सचेंज में दायर अपनी रिपोर्ट में कहा, ‘‘ईडी की कार्रवाई का व्यावसायिक संचालन, वित्तीय प्रदर्शन, शेयरधारकों, कर्मचारियों या किसी अन्य हितधारक पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा है।’’
दोनों कंपनियों ने कहा कि अनिल डी. अंबानी आरइंफ्रा और आरपावर के बोर्ड में नहीं हैं, इसलिए आरकॉम या आरएचएफएल के खिलाफ की गई किसी भी कार्रवाई का आरइंफ्रा और आरपावर के शासन, प्रबंधन या संचालन पर कोई असर नहीं पड़ेगा।
ईडी सूत्रों के मुताबिक, जांच मुख्य रूप से 2017 और 2019 के बीच यस बैंक द्वारा अंबानी समूह की कंपनियों को दिए गए लगभग 3,000 करोड़ रुपये के ऋण के गलत इस्तेमाल के आरोपों से संबंधित है।
केंद्र सरकार ने हाल ही में संसद को सूचित किया था कि भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) ने अंबानी के साथ आरकॉम को भी ‘जालसाज’ के रूप में वर्गीकृत किया है और वह केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) में शिकायत दर्ज कराने की प्रक्रिया में है।
ईडी सूत्रों ने कहा कि कुछ ‘अघोषित’ विदेशी बैंक खातों और संपत्तियों के अलावा, आरकॉम और केनरा बैंक के बीच 1,050 करोड़ रुपये से अधिक की बैंक ऋण ‘धोखाधड़ी’ भी ईडी की जांच के दायरे में है।
रिलायंस म्यूचुअल फंड ने एटी-1 बॉन्ड में भी 2,850 करोड़ रुपये का निवेश किया है और एजेंसी को इसमें ‘परस्पर लाभ पहुंचाए जाने’ का संदेह है।
भाषा संतोष पारुल
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