समराला/लिबड़ा (लुधियाना), 27 जुलाई (भाषा) पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने रविवार को एक पेड़ की छांव में ग्रामीणों के एक समूह से बातचीत की और ‘रंगला पंजाब’ बनाने के लिए उनके सुझाव लिए।
मुख्यमंत्री ने ग्रामीणों को आम आदमी पार्टी नीत सरकार की प्रमुख पहल से भी अवगत कराया।
इस बैठक के लिए न तो सोफे लगाये गए थे और न ही सरकारी प्रोटोकॉल की औपचारिकताएं थीं। ग्रामीणों ने मान से खुलकर बातचीत की और उनके साथ अपने विचार साझा किए।
मान ने ग्रामीणों के साथ राज्य के राजनीतिक, सामाजिक और अन्य मुद्दों पर बातचीत की।
मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्होंने जब पदभार संभाला था, नहर के पानी का केवल 21 प्रतिशत ही सिंचाई के लिए इस्तेमाल किया जा रहा था, लेकिन अब यह बढ़कर 63 प्रतिशत हो गया है।
उन्होंने कहा कि राज्य सरकार के ठोस प्रयासों से पहली बार नहर और नदियों का पानी गांवों के अंतिम छोर तक पहुंच पाया है।
मान ने किसानों को बताया कि अक्टूबर में नमी की अधिकता के कारण धान की फसल बेचने में आने वाली परेशानियों से बचने के लिए, राज्य सरकार ने धान की खेती के सत्र में भी बदलाव कर दिया है। उन्होंने कहा कि इसके लिए राज्य में आवश्यक योजना और व्यवस्था के साथ-साथ क्षेत्रवार धान की खेती सुनिश्चित की गई है।
मान ने कहा कि उन्होंने केंद्रीय खाद्य मंत्री को फोन कर आग्रह किया था कि अब धान की खरीद 15 सितंबर से शुरू होनी चाहिए ताकि राज्य के किसान अपनी फसल आसानी से और बिना किसी परेशानी के बेच सकें।
उन्होंने कहा कि इससे किसान मंडियों में नमी रहित अनाज ला सकेंगे और उनकी खरीद सुचारू रूप से सुनिश्चित होगी।
मादक पदार्थों के खतरे के मुद्दे पर उन्होंने कहा कि ड्रग माफिया को कथित तौर पर पिछली सरकारों द्वारा संरक्षण दिया गया था, लेकिन उनकी सरकार ने मादक पदार्थों के खिलाफ अभियान शुरू किया।
जल संकट के मुद्दे पर उन्होंने कहा कि 153 ब्लॉक में से 117 में भूजल ‘ब्लैक डार्क जोन’ में चला गया है।
राज्य में हो रही भव्य शादियों पर चिंता व्यक्त करते हुए, मान ने कहा कि ये आम किसानों की जेब पर भारी बोझ डाल रही हैं।
सादगीपूर्ण शादियों की वकालत करते हुए, मुख्यमंत्री ने कहा कि यह समय की मांग है ताकि किसानों को कर्ज के दुष्चक्र से बाहर निकाला जा सके।
उन्होंने कहा कि किसानों को फिजूलखर्ची करने की होड़ से बाहर आना चाहिए।
मान के अपने खेतों में आने से किसान आश्चर्यचकित थे, जिन्होंने कहा कि पिछले 70 वर्षों में उन्होंने पहली बार देखा है कि राज्य का मुखिया महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा करने के लिए उनके बीच आया।
भाषा सुभाष रंजन
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