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Monday, July 28, 2025

पृथ्वी पर पर्याप्त प्राकृतिक हाइड्रोजन मौजूद है जो हरित ऊर्जा के इस्तेमाल में मददगार हो सकती है

Newsपृथ्वी पर पर्याप्त प्राकृतिक हाइड्रोजन मौजूद है जो हरित ऊर्जा के इस्तेमाल में मददगार हो सकती है

( ओमिड हायरी अरदाकानी, कैलगरी यूनिवर्सिटी, बारबरा शेरवुड लोल्लार, प्रोफेसर, अर्थ साइंसेज, यूनिवर्सिटी ऑफ टोरंटो, क्रिस बेल्लेन्टाइन, यूनिवर्सिटी ऑफ ऑक्सफोर्ड )

टोरंटो/कैलगरी, 28 जुलाई (द कन्वरसेशन) पृथ्वी की महाद्वीपीय चट्टानों के सबसे पुराने हिस्सों ने अरबों वर्षों से बड़े पैमाने पर प्राकृतिक हाइड्रोजन उत्पन्न किया है और वैज्ञानिकों का मानना है कि यह गैस पृथ्वी की सतह के नीचे मौजूद भंडारों में संचित हो सकती है, जो आने वाले वर्षों में वैश्विक हाइड्रोजन अर्थव्यवस्था के लिए एक स्थायी स्रोत बन सकती है।

माली में एक गैस क्षेत्र से शुद्ध प्राकृतिक हाइड्रोजन का व्यावसायिक उत्पादन इसकी व्यापक संभावनाओं का प्रमाण है, जिसने अमेरिका, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, ब्रिटेन और यूरोप के नीति-निर्माताओं का ध्यान आकर्षित किया है।

तेजी से बढ़ रही रुचि

साल 2023 के अंत तक दुनियाभर में 40 कंपनियां प्राकृतिक हाइड्रोजन की खोज में सक्रिय थीं और वर्ष 2024 से यह संख्या दोगुनी होने की संभावना जताई गई है। इसमें औद्योगिक निवेशकों और अंतरराष्ट्रीय खनिज कंपनियों की भागीदारी भी बढ़ी है तथा आने वाले दिनों में इस क्षेत्र में नवाचार की भी संभावना है।

हाइड्रोजन : एक बहुपयोगी संसाधन

ईंधन परिष्करण, अमोनिया और उर्वरक उत्पादन तथा इस्पात उद्योग जैसे क्षेत्रों में पहले से ही हाइड्रोजन का उपयोग हो रहा है। ब्रिटेन सरकार के एक हालिया नीति पत्र के अनुसार, हाइड्रोजन को प्राकृतिक संसाधन के रूप में मान्यता दिए बिना इस क्षेत्र में निवेश और विकास को बढ़ावा देना मुश्किल है। आने वाले समय में निश्चित रूप से इस बात को ध्यान में रख कर नीतियां बनाई जाएंगी।

भविष्य में लंबी दूरी की परिवहन प्रणालियों और खनन उद्योग के कारण होने वाले कार्बन उत्सर्जन को कम करने में हाइड्रोजन की अहम भूमिका हो सकती है।

वर्तमान में इस्तेमाल हो रहे अधिकतर हाइड्रोजन का उत्पादन जीवाश्म ईंधनों से किया जाता है, जिससे वैश्विक कार्बन उत्सर्जन का लगभग 2.5 प्रतिशत हिस्सा आता है। जबकि प्राकृतिक हाइड्रोजन का ‘कार्बन फुटप्रिंट’ हरित हाइड्रोजन के बराबर या उससे भी कम माना जाता है। बहरहाल, यह अब भी एक ऐसा संसाधन है जिसका परीक्षण किया जाना है।

हाइड्रोजन और हीलियम : समान स्त्रोत

‘यूएस जियोलॉजिकल सर्वे’ के अनुसार, पृथ्वी की सबसे ऊपरी सतह परत में मौजूद प्राकृतिक हाइड्रोजन वैश्विक मांग को लगभग 200 वर्षों तक पूरा कर सकता है। यह हाइड्रोजन लौह-समृद्ध खनिजों और भूजल की रासायनिक अभिक्रियाओं या रेडियोधर्मी प्रक्रियाओं द्वारा बनता है। इन प्रक्रियाओं से हीलियम भी उत्पन्न होता है, जो कनाडा की ‘क्रिटिकल मिनरल्स स्ट्रैटेजी’ में शामिल एक मूल्यवान तत्व है।

एक आकस्मिक खोज और वैश्विक रुचि

माली में एक छोटे हाइड्रोजन भंडार की आकस्मिक खोज और पूर्व सोवियत संघ के ऐतिहासिक आंकड़ों के प्रकाशन ने इस क्षेत्र में वैश्विक रुचि को नयी दिशा दी। इसके बाद ऑस्ट्रेलिया, फ्रांस और अमेरिका सहित कई देशों ने इस दिशा में दोबारा अध्ययन शुरू किया।

नीतिगत बाधाएं बनीं सबसे बड़ी चुनौती

कई देशों में हाइड्रोजन अन्वेषण को लेकर स्पष्ट नीतियों का अभाव है, जिससे निवेश और भूमि अधिग्रहण में बाधा आ रही है। इससे समुदायों के साथ संवाद की प्रक्रिया भी धीमी हो रही है, जो किसी भी ऊर्जा परियोजना की सामाजिक स्वीकृति के लिए आवश्यक होती है।

दक्षिण ऑस्ट्रेलिया में प्राकृतिक हाइड्रोजन के लिए नियामक ढांचा बनाए जाने के बाद सरकार को दर्जनों कंपनियों से आवेदन प्राप्त हुए, जिससे यह स्पष्ट होता है कि स्पष्ट नीति के निर्माण से निवेश को गति मिल सकती है। हालांकि नीतियां गहन अध्ययन के बाद बनानी होंगी।

निष्कर्ष

प्राकृतिक हाइड्रोजन को भविष्य की स्वच्छ ऊर्जा जरूरतों के लिए एक व्यवहार्य विकल्प के रूप में देखा जा रहा है। इसके लिए जरूरी है कि सरकारें नीतिगत स्पष्टता और प्रोत्साहन प्रदान करें ताकि यह संसाधन सतत और समावेशी विकास में सहायक बन सके।

( द कन्वरसेशन ) मनीषा सिम्मी

सिम्मी

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