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Monday, July 28, 2025

विपक्ष ने चुनाव से पहले ही झूठे आख्यान गढ़ने शुरू कर दिए : फडणवीस

Newsविपक्ष ने चुनाव से पहले ही झूठे आख्यान गढ़ने शुरू कर दिए : फडणवीस

वर्धा, 28 जुलाई (भाषा) महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने सोमवार को कहा कि विपक्षी दल चुनाव से पहले ही दुष्प्रचार अभियान चलाना और झूठे आख्यान गढ़ना शुरू कर देते हैं, क्योंकि वे विकास के मामले में सरकार से मुकाबला नहीं कर सकते।

राज्य के विदर्भ क्षेत्र के भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए फडणवीस ने महाराष्ट्र विशेष जन सुरक्षा विधेयक की भी सराहना की और कहा कि ‘‘99 प्रतिशत विरोधियों ने इस विधेयक को पढ़ा तक नहीं है।’’

मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘हमने 2014 से हर शहर की सूरत बदल दी है। हमें यह ध्यान रखना चाहिए कि हमारे विरोधी विकास के मुद्दे पर हमसे मुकाबला नहीं कर सकते। वे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा किए गए विकास का मुकाबला नहीं कर सकते। इसलिए, वे हर दिन गलत सूचना देने का अभियान चलाते हैं और झूठे आख्यान गढ़ते हैं।’’

फडणवीस ने कहा कि विपक्षी दल विकास से जुड़े मुद्दों पर चर्चा नहीं करना चाहते, क्योंकि वे जानते हैं कि ऐसी सूरत में नागरिक उनसे पूछेंगे कि सत्ता में रहते हुए उन्होंने क्या किया।

महाराष्ट्र विशेष जन सुरक्षा विधेयक का जिक्र करते हुए फडणवीस ने कहा कि विपक्ष झूठा आख्यान गढ़ रहा है कि यह असंवैधानिक है और लोगों की आवाज दबाने के लिए है।

उन्होंने कहा, ‘‘सरकार ने विधेयक के संबंध में एक समिति बनाई थी, जिसमें सभी दलों के नेता शामिल थे। चर्चा के बाद विधेयक को विधानमंडल में सर्वसम्मति से पारित कर दिया गया। हालांकि, उनमें से कुछ (विपक्षी नेताओं) को आलाकमान से ‘इंजेक्शन’ मिल गया और कुछ ‘तोते’ विधेयक के खिलाफ बोलने लगे।’’

फडणवीस ने कहा कि यह विधेयक ‘शहरी नक्सलियों’ और उन लोगों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए लाया गया है, जो अराजकता फैलाने और लोगों को संविधान के खिलाफ भड़काने की योजना बनाते हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘शहरी नक्सलियों ने महाराष्ट्र को अपना केंद्र बना लिया है, क्योंकि जिन राज्यों में ऐसे विधेयक पेश किए गए थे, वहां उन पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। मैं दावे के साथ कह सकता हूं कि विधेयक के खिलाफ बोलने वालों में से 99 प्रतिशत ने इसे पढ़ा भी नहीं है। लेकिन ये लोग एक झूठा आख्यान गढ़ने की कोशिश कर रहे हैं। वे (स्थानीय निकाय) चुनावों से पहले ऐसे आख्यान गढ़ते रहेंगे।’’

भाषा संतोष पारुल

पारुल

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