नयी दिल्ली, 28 जुलाई (भाषा) मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के राज्यसभा सदस्य जॉन ब्रिटास ने सोमवार को कहा कि छत्तीसगढ़ के दुर्ग में केरल की दो ननों की गिरफ्तारी ‘कानून का घोर दुरुपयोग है और उन्होंने दोनों ननों को रिहा करने की मांग की।
ब्रिटास ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में ननों की गिरफ्तारी पर गहरी चिंता व्यक्त की। उन्होंने 25 जुलाई की सुबह दुर्ग रेलवे स्टेशन से राजकीय रेलवे पुलिस (जीआरपी) द्वारा केरल की दो कैथोलिक ननों – सिस्टर वंदना फ्रांसिस और सिस्टर प्रीति – की गिरफ्तारी और मानव तस्करी तथा जबरन धर्म परिवर्तन के आरोपों में उनकी न्यायिक हिरासत पर तत्काल हस्तक्षेप करने की छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साई से मांग की। ब्रिटास ने छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री को लिखा एक पत्र भी ‘एक्स’ पर साझा किया।
उन्होंने ‘एक्स’ पर कहा, ‘‘केरल की ननों सिस्टर वंदना फ्रांसिस और सिस्टर प्रीति की दुर्ग में निराधार आरोपों में गिरफ्तारी शर्मनाक है। यह अल्पसंख्यकों को निशाना बनाने के लिए कानून का घोर दुरुपयोग है। ननों को रिहा करें और समाज की सेवा करने वालों के खिलाफ नफरत का अभियान बंद करें!’
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री को 27 जुलाई को लिखे पत्र में ब्रिटास ने कहा कि नवीनतम खबरों से संकेत मिलता है कि अधिकारियों ने एक प्राथमिकी दर्ज कर ली है और दोनों ननों सहित तीन वयस्कों को न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है।
उन्होंने इसे चौंकाने वाला घटनाक्रम बताया और कहा कि यह ‘‘तुच्छ और सांप्रदायिक आरोपों के तहत अल्पसंख्यक समुदायों को निशाना बनाने की बढ़ती प्रवृत्ति’’ को दर्शाता है।
माकपा सांसद ने कहा, ‘‘इससे भी ज़्यादा चिंताजनक बात यह है कि उनके मोबाइल फोन जब्त कर लिए गए और उन लोगों की अपने परिवारों से कोई बातचीत नहीं हुई।’’ उन्होंने कहा कि इस घटना को लेकर केरल और पूरे देश में गहरी पीड़ा है।
उन्होंने शिकायत की पृष्ठभूमि और पुलिस कार्रवाई को प्रभावित करने में दक्षिणपंथी समूहों की भूमिका की ‘स्वतंत्र जांच’ की भी मांग की।
भाषा अविनाश माधव
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