(सुष्मिता गोस्वामी)
गुवाहाटी, 28 जुलाई (भाषा) असम के विभिन्न केंद्रीय विद्यालयों की छात्राएं कीया, सृष्टि और मोफिदा के लिए अतिसक्रियता, सामाजिक चिंता, कुछ विषयों से डर और आत्मविश्वास की कमी जैसी चुनौतियों से जूझना एक नियमित परेशानी बन गई थी।
अंतत: उनके शिक्षक मदद के लिए आगे आए और इन परेशानियों से निपटने के लिए उनका मार्गदर्शन किया। ये शिक्षक न केवल इन तीनों छात्राओं, बल्कि हजारों ऐसे विद्यार्थियों की मदद कर रहे हैं, जो शैक्षणिक समस्याओं, अकादमिक प्रदर्शन संबंधी चिंताओं, व्यवहार संबंधी कठिनाइयों और यहां तक कि घरेलू समस्याओं का सामना कर रहे हैं।
कीया, सृष्टि और मोफिदा राज्य के उन 2,000 से अधिक विद्यार्थियों में शामिल हैं, जिन्हें ‘ईच वन रीच वन’ नामक कार्यक्रम से लाभ मिला है।
केंद्रीय विद्यालय संगठन, गुवाहाटी क्षेत्रीय कार्यालय (आरओ) के उपायुक्त चंद्रशेखर आजाद ने कहा, ‘‘शिक्षक कक्षा में अपना शत-प्रतिशत देते हैं। लेकिन, सभी छात्र शिक्षकों की गति के साथ तालमेल नहीं बैठा पाते और कुछ छात्रों को मदद की जरूरत होती है। केवल शैक्षणिक मदद ही नहीं, बल्कि भावनात्मक समस्याओं, साथियों के दबाव और माता-पिता से जुड़ी समस्याओं से निपटने के लिए भी छात्रों का सही मार्गदर्शन जरूरी है।’’
आजाद ने कहा, ‘‘इस पहल का उद्देश्य उन छात्रों की मदद करना है, जिन पर विशेष ध्यान दिए जाने की आवश्यकता है, चाहे वह उनकी पढ़ाई या व्यवहार संबंधी समस्याओं का मामला हो या घर पर होने वाली समस्याएं का, जो उनके मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित कर रही हों।’’
इस कार्यक्रम को शुरू करने का विचार उस समय आया, जब पिछले साल केंद्रीय विद्यालय संगठन के उपायुक्त आजाद बोर्ड परीक्षा दे रहे विद्यार्थियों से बातचीत कर रहे थे।
आजाद ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘मैंने उनसे पूछा कि वे किस बात से सबसे ज़्यादा डरते हैं, खासकर जब कोई जरूरी परीक्षा आने वाली हो। मैंने उन्हें भरोसा दिलाया कि यह बात गुप्त रखी जाएगी। और ये बेबाक बातें बहुत कुछ उजागर कर रही थीं।’’
उन्होंने कहा कि यह सिर्फ अधिक अंक लाने की सामान्य इच्छा नहीं थी, बल्कि ये युवा अपने भविष्य को लेकर चिंता, साथियों और अभिभावकों के दबाव, कुछ विषयों में कठिनाइयों और घर पर परेशानियों का सामना कर रहे थे।
जब आजाद ने सत्र 2024-25 के लिए ‘ईच वन रीच वन’ पहल की घोषणा की, तो शिक्षक स्वेच्छा से पूरे सत्र के लिए ऐसे छात्रों को ‘गोद लेने’ के वास्ते आगे आए।
आजाद ने कहा, ‘‘किसे ‘गोद’ लेना है, इस बारे में कोई निर्देश नहीं था। शिक्षक खुद ‘गोद लिए जाने वाले बच्चों’ की पहचान करते थे। और न केवल शिक्षक, बल्कि प्रधानाचार्य, उप-प्रधानाचार्य, प्रधानाध्यापक और यहां तक कि आरओ के दो सहायक आयुक्तों ने भी छात्रों को ‘गोद लिया’।’’
गुवाहाटी क्षेत्रीय कार्यालय के अंतर्गत 42 केंद्रीय विद्यालयों में 2,260 विद्यार्थियों को पहले सत्र में 1,450 शिक्षकों द्वारा ‘गोद लिया गया’, तथा कुछ मामलों में उन्हीं विद्यार्थियों के लिए मार्गदर्शन का कार्य दूसरे वर्ष भी जारी रहा।
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