नयी दिल्ली, 28 जुलाई (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने पंजाब सरकार की उस याचिका पर सुनवाई करने से सोमवार को इनकार कर दिया जिसमें हरियाणा को 4,500 क्यूसेक अतिरिक्त पानी छोड़ने के उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती दी गई थी।
पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय ने पंजाब को केंद्रीय गृह सचिव की अध्यक्षता में दो मई को हुई बैठक में लिए गए निर्णय का पालन करने का निर्देश दिया था।
न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की पीठ के समक्ष सोमवार को पंजाब का पक्ष रखने के लिए उपस्थित हुए वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक एम. सिंघवी ने कहा कि हरियाणा पहले ही अपने हक का 100 प्रतिशत से अधिक पानी ले रहा है और मानवीय आधार पर पंजाब ने हरियाणा को 4,000 अतिरिक्त क्यूसेक पानी दिया है।
उन्होंने कहा, ‘‘यह दोनों राज्यों के लिए भावनात्मक मुद्दा है।’’
सिंघवी ने कहा कि उच्च न्यायालय ने पंजाब से दो मई के फैसले का पालन करने को कहा है, जिसमें कहा गया है कि हरियाणा को 4,500 क्यूसेक अतिरिक्त पानी दिया जाए।
भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड (बीबीएमबी) की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अदालत को बताया कि सभी पक्षों को सुनने के बाद बोर्ड ने निर्णय लिया।
उन्होंने कहा कि पंजाब पुलिस ने भाखड़ा नांगल बांध स्थल पर पुलिस बल भेजा ताकि पानी न छोड़ जाए।
मेहता ने कहा, ‘‘एक राज्य पुलिस द्वारा वहां अपनी पुलिस तैनात करना अच्छी बात नहीं है। आखिरकार, हम या वे, ये हमारे लोग हैं। हरियाणा हो या पंजाब वहां के रहने वाले भारत के नागरिक हैं।’’
उन्होंने उच्च न्यायालय के निर्देशों का हवाला दिया, जिसमें कहा गया था, ‘‘पंजाब और पुलिस कर्मियों सहित इसके किसी भी अधिकारी को बीबीएमबी द्वारा प्रबंधित भाखड़ा नांगल बांध और लोहंद नियंत्रण कक्ष जल विनियमन कार्यालयों के दिन-प्रतिदिन के कामकाज, संचालन और विनियमन में हस्तक्षेप करने से रोका जाता है।’’
भाषा धीरज प्रशांत
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