नयी दिल्ली, 28 जुलाई (भाषा)उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को महाराष्ट्र के उन किसानों को दी जाने वाली मुआवजे की राशि बढ़ा दी, जिनकी भूमि 1994 में राज्य में औद्योगिक क्षेत्र स्थापित करने के लिए अधिग्रहीत की गई थी।
प्रधान न्यायाधीश बी आर गवई और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ मुंबई उच्च न्यायालय के अप्रैल 2022 के आदेश को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी, जिसने किसानों की ओर से दायर अपील खारिज कर दी थी।
शीर्ष अदालत की पीठ ने कहा, ‘‘हम निर्देश देते हैं कि अपीलकर्ताओं को दिया जाने वाला मुआवजा 32,000 रुपये प्रति एकड़ से बढ़ाकर 58,320 रुपये प्रति एकड़ किया जाए।’’
अदालत ने कहा कि किसानों की भूमि ‘प्रमुख स्थान’ पर स्थित है और वे उच्चतम बिक्री दर का लाभ पाने के हकदार हैं।
पीठ ने कहा कि वह इस मामले को नए सिरे से विचार के लिए उच्च न्यायालय को भेज सकती थी, लेकिन अपीलकर्ता किसान थे और उनकी जमीन 1990 के दशक के आरंभ में प्रतिवादी-राज्य द्वारा अधिग्रहीत की गई थी, और उसके लिए यह निर्णय लेना उचित था कि क्या उन्हें उच्चतम आदर्श बिक्री विलेख के आधार पर मुआवजा दिया जाना चाहिए।
शीर्ष अदालत ने कानून की स्थापित स्थिति का हवाला देते हुए कहा कि जब समान भूमि के संदर्भ में कई मूल्य हों, तो ‘‘आमतौर पर सबसे उच्चतम मूल्य, जो एक वास्तविक लेनदेन है, पर विचार किया जाएगा।’’
अपील करने वाले किसान महाराष्ट्र के परभणी जिले के पुंगाला गांव के निवासी बताए जाते हैं।
भाषा धीरज दिलीप
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