गांधीनगर, 28 जुलाई (भाषा) गांधीनगर के एक वरिष्ठ नागरिक को ‘डिजिटल अरेस्ट’ की धमकी देकर तीन महीनों में 19.24 करोड़ रुपये की ठगी करने का मामला सामने आया है। यह राशि 30 अलग-अलग खातों में जमा करवाई गई। पुलिस ने सोमवार को यह जानकारी दी।
गांधीनगर के पुलिस अधीक्षक, सीआईडी (अपराध) धर्मेंद्र शर्मा ने बताया कि मामले में सूरत के 30 वर्षीय एक व्यापारी को गिरफ्तार किया है, जिसके बैंक खाते में ठगी की गई एक करोड़ रुपये की रकम स्थानांतरित की गई थी।
पुलिस के अनुसार, पीड़ित (उम्र का खुलासा नहीं किया गया है) के साथ यह धोखाधड़ी मार्च महीने में शुरू हुई और यह करीब तीन महीने तक जारी रही। उसने बताया कि इस दौरान बुजुर्ग को ‘डिजिटल गिरफ्तारी’की धमकी दी गई।
साइबर ठग ‘डिजिटल अरेस्ट’ में धन शोधन, आयकर जैसे मामलों में कानून तोड़ने का झूठा आरोप लगा कर, वीडियो और ऑडियो कॉल कानून प्रवर्तन एजेंसी का अधिकारी बन धोखाधड़ी करते हैं।
शर्मा ने बताया, ‘‘एक वरिष्ठ नागरिक साइबर धोखाधड़ी का शिकार हो गये। साइबर जालसाजों ने मार्च में उन्हें फ़ोन किया और बताया कि उनका मोबाइल नंबर उनके डेटा में है और मोबाइल फोन के जरिए कुछ गलत बातें फैलाई जा रही हैं।’’
पुलिस अधिकारी ने बताया कि साइबर जालसाजों ने उन्हें जल्द ही ‘गिरफ़्तार’ करने की धमकी दी और कार्रवाई से बचने के लिए उनसे लगभग तीन महीने तक किश्तों में 19.24 करोड़ रुपये का भुगतान करने का दबाव बनाया।
उन्होंने बताया कि बुजुर्ग से ठगी की गई राशि 30 से ज़्यादा बैंक खातों में जमा कराई गई।
शर्मा ने बताया कि पुलिस खाता धारकों की पहचान करने की कोशिश कर रही है, साथ ही उन लोगों की भी पहचान करने का प्रयास कर रही है जिन्होंने फोन कर धमकी दी थी।
सीआईडी ने एक प्रेस विज्ञप्ति में बताया कि व्यवसायी लालजी बलदानिया (30) नामक व्यक्ति को सूरत से गिरफ्तार किया गया है। वह 30 से अधिक बैंक खातों में से एक का धारक है, जिसमें ‘डिजिटल अरेस्ट’ की धमकी देकर बुजुर्ग से राशि हस्तांतरित कराई गई थी।
विज्ञप्ति के मुताबिक बलदानिया के बैंक खाते का इस्तेमाल ठगी में की गई और एक करोड़ रुपये की रकम हस्तांतरित खाते में कराई गई।
पुलिस के मुताबिक पूछताछ के दौरान आरोपी ने बताया कि वह उत्तर प्रदेश के नोएडा में साइबर ठगों से मिला था और उसने वरिष्ठ नागरिक से वसूली गई राशि को हस्तांतरित करने के लिए मुरलीधर मैन्युफैक्चरिंग के नाम से पंजीकृत अपने बैंक खाते का इस्तेमाल करने की अनुमति दी थी।
भाषा धीरज रंजन
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